Dainik Athah

कविता: नीलगगन तो नीलगगन तू आता जाता है ।।

कविता नील गगन को ढककर बादल क्यों इठलाता है? नीलगगन तो नीलगगन तू आता जाता है…

कविता: खुशियों से धरती को भरें दें।।

कविता स्वच्छ हो पानी नदी के अंदर , उज्ज्वल लहरों भरा समंदर,  आओ हम कुछ ऐसा…

कविता : केसरिया सबका अभिनंदन

कविता केसरिया बस रंग नहीं, बलिदानों की गाथा है, ओढ केसरी बाना सूरज, जगत जगाने आताहै।…

कविता :कौन करता है

कविता दिलों को जीतने वाली सियासत कौन करता हैजमाने में किसी से भी , मोहब्बत कौन…

कविता: चेता रही है प्रकृति सभलो अभी समय शेष है

कविताधारण के कारण ही धरती,पृथ्वी भू कहलाती है।अगणित जीव निजीर्वों का आश्रय बन जाती है।नदी, तालाब,…

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कवी डा.प्रेम किशोर शर्मा निडर पीर पर्वत सी लिए सब जी रहे हैं है सड़ा पानी…

कविता

बीच हमारे एक संशय मचा रहा है धमाल हर खतरे से तुझे लेना है खुद को…