Dainik Athah

कविता : केसरिया सबका अभिनंदन

कविता 
केसरिया बस रंग नहीं, बलिदानों की गाथा है,
ओढ केसरी बाना सूरज, जगत जगाने आताहै।
त्याग तपस्या का द्योतक, नहीं झुकता आसानी से,
प्रकृति जब धनुष बनाती, पहले ही तन जाता है।
केसरिया मोह से मुक्ति, केसरिया देश की भक्ति,
केसरिया है रंग लहू का, केसरिया अनंत है शक्ति।
केसरिया है विजय पताका, केसरिया अग्नि की लपटे,
केसरिया जिसका चोला है, दुश्मन पर निडर वो झपटे।
केसरिया है मूल चेतना,केसरिया ललाट पर चंदन।
केसरिया संध्या का वंदन, केसरिया सबका अभिनंदन।।

कवि: डा.प्रेम किशोर शर्मा निडर

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