कविता
दिलों को जीतने वाली सियासत कौन करता है
जमाने में किसी से भी , मोहब्बत कौन करता है ।
जरूरत से जुड़े है सब , ये आफत कौन करता है ।।
समझदारी इसी में है कि , मजबूती से पेश आओ ।
यहां कमजोर लोगों की , हिफाजत कौन करता है ।।
सितमगर के सितम से , सब परेशां हैं खफा भी हैं ।
मगर ये होंसला किसमे , खिलाफत कौन करता है ।।
सभी को फिकर है , अपनी दिलों में डर समाया है ।
शहर हर रोज लुटता है , शिकायत कौन करता है ।।
दिखावे के लिये , सब उसके दर पर सर झुकाते है ।
दिखाओ तो , हमें सच्ची इबादत कौन करता है ।।
दिमागों में जहर भरना , बड़ा आसान होता है ।
दिलों को जीतने वाली , सियासत कौन करता है ।।
कवि:संजीव शर्मा