इस मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था.
नई दिल्ली: यूजीसी (UGC) के विश्वविद्यालयों अंतिम वर्ष की परीक्षा (Final Year Exam) कराने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) कल यानी शुक्रवार को अपना फैसला सुना सकता है. इस दौरान कोर्ट तय करेगा कि यह परीक्षा सितंबर महीने में होगी या फिर कोरोना संकट के मद्देनजर इसे कुछ समय के लिए टाला जाएगा.
बता दें कि इस मामले में सुनवाई सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को पूरी करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया था. विश्वविद्यालयों एवं अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाओं (Final Year Exam) को 30 सितंबर तक करा लेने के यूजीसी द्वारा 6 जुलाई को
जारी निर्देशों को चुनौती देनी वाली विभिन्न याचिकाओं पर एक साथ 18 अगस्त को हुई पिछली और अंतिम सुनवाई के दौरान विभिन्न राज्यों– महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और ओडिशा की दलीलों को भी सुना गया. ऐसे इसलिए हुआ क्योंकि इन राज्यों की सरकारों ने परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला स्वयं ही ले लिया था.
यूजीसी द्वारा सुनवाई के दौरान इन राज्यों के फैसले को आयोग के सांविधिक विशेषाधिकारों के विरूद्ध बताया गया था. यूजीसी ने कहा कि वह छात्रों का समय बर्बाद नहीं करना चाहती, इसलिए परीक्षाओं का आयोजन जल्द से जल्द किया जाना चाहिए.
वहीं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक बात हमें ध्यान में रखनी होगी कि छात्रों के कल्याण को छात्रों नहीं तय कर सकते, छात्र अभी इस योग्य नहीं हैं. यहां पर दो बिंदु हैं, एक यह कि राज्य परीक्षा कर सकते हैं, और दूसरा यह कि राज्य परीक्षा का रिजल्ट पिछले अंकों के आधर पर जारी कर सकते हैं.
यूजीसी की तरफ से सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि महाराष्ट्र में परीक्षाओं को ना करवाने का फैसला महाराष्ट्र सरकार की राजनीति से प्रेरित है. उन्होंने कहा कि युवा सेना ने परीक्षाओं के आयोजन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री का बेटा इसका मुखिया है. इस टिप्पणी के बाद महाराष्ट्र सरकार ने एक बार फिर कोर्ट में कहा कि वह परीक्षा आयोजित नहीं करा सकते.
क्या राज्य सही कह रहे हैं कि परीक्षाओं के बिना हर छात्र पास करेंगे?
क्या इससे नियमों का उल्लंघन नहीं होगा?
अगर हम उन्हें किसी भी परीक्षा के बिना छात्रों को पास करने की अनुमति देते हैं, तो क्या इससे समस्याएं नहीं होगी?
क्या आपदा प्रबंधन अधिनियम इस तरीके से व्याख्या किया जा सकता है?
मान लीजिए कि UPSC कहे कि वह परीक्षाएं आयोजित कराएगा, तो क्या राज्य कह सकते है कि परीक्षा के बिना सभी छात्रों को पास करें?
क्या राज्य आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत परीक्षाओं के मानक के बारे में फैसला ले सकते हैं?
क्या राज्य छात्रों को पास करने का फैसला कर सकते हैं?
इस पर जवाब देते हुए वकील अरविंद दत्रा ने कहा कि IIT ने भी कहा है कि वह छात्रों को बिना परीक्षा के डिग्री देगा, अगर एक प्रमुख संस्थान ऐसा कर सकती है तो इसका कोई जरूरी कारण होगा. अंतिम परीक्षा (Final Year Exam) न करने से मानक कम नही होंगे.
वरिष्ठ वकील दत्ता ने कहा कि महामारी के UGC का परीक्षा कराने का फैसला एकतरफा है. इस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि UGC ने दिशानिर्देशों दिया है कि सभी स्वास्थ्य से संबंधित दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए, आप यह नहीं कह सकते कि उन्होंने जन-स्वास्थ्य पर विचार नहीं किया है.
दिशानिर्देशों में इसका जिक्र है.बताते चलें कि शुक्रवार को पिछली सुनवाई के दौरान छात्रों के वकील अभिषेक मनु सिंधवी ने कहा कि कोर्ट के सामने सबसे बड़ा सवाल ‘जीवन के अधिकार’ का है.सिंधवी ने आगे कहा था कि कोरोना महामारी विश्वस्तरीय समस्या है, यह एक असाधारण स्थिति है.
महामारी से सभी सेक्टर प्रभावित हैं और अधिकतर बंद हैं. ऐसे वक्त में कोई भी रेगुलर परीक्षा के खिलाफ नहीं है, हम महामारी के दौरान परीक्षा के खिलाफ हैं. सिंधवी ने आगे कहा कि UGC ऐसी असाधारण स्थिति के दौरान कोई परीक्षा आयोजित नहीं कर सकता.