मंथन : देश में कांग्रेस के सामने वजूद बचाने की चिंता है। कांग्रेस के दिग्गज ही गांधी परिवार को चुनौती दे रहे हैं लेकिन देखा जाये तो कांग्रेस के पास जो जनाधार है उसे भी वह खोने को तैयार है। खुशी की बात तो दूर, गम के समय में देश पर आधी सदी से ज्यादा समय तक राज करने वाली कांग्रेस के आला नेताओं को समय नहीं है कि अपने प्रिय पूर्व सांसद के परिवार को ढांढस बंधाकर अपने पुराने कार्यकर्ता को श्रद्धांजलि अर्पित कर श्रद्धा सुमन अर्पित करें।
जी हां हम बात कर रहे हैं नगर पालिका सभासद से लेकर सांसद तक का सफर तय करने वाले पूर्व सांसद सुरेंद्र प्रकाश गोयल की। कांग्रेस में राहुल गांधी तक उन्हें डैडी कहने में संकोच नहीं करते थे। लेकिन जब उन्होंने देह त्यागी तो अंतिम संस्कार से लेकर श्रद्धांजलि कार्यक्रम तक में कांग्रेस का देश का तो छोड़ो प्रदेश का भी कोई बड़ा नेता उनके चित्र पर श्रद्धा के दो पुष्प अर्पित करने गाजियाबाद तक नहीं पहुंचा।
हां इतना अवश्य है कि कांग्रेस के आला नेताओं में सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका वाड्रा, सचिन पायलट, राज बब्बर समेत अन्य नेताओं ने केवल शोक संदेश भेजकर कर्त्तव्य की इतिश्री कर ली। कांग्रेस के आला नेताओं के इस मौके पर न आने को लेकर कांग्रेस के पुराने दिग्गजों में भी चर्चा थी।
दबे स्वर में भी कहते देखे गये कि जब ऐसे समय में बड़े नेता नहीं आ सकते तो कब आयेंगे। इसके साथ ही यह सवाल भी कांग्रेस के लोग उठा रहे हैं कि ऐसे माहौल में कांग्रेस कैसे आगे बढ़ पायेगी? लेकिन कांग्रेस नेतृत्व को सद्बुद्धि आये तो शायद भविष्य में वह अपने कार्यकर्ताओं को सम्मान दे सके।
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