कविता नील गगन को ढककर बादल क्यों इठलाता है? नीलगगन तो नीलगगन तू आता जाता है…
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कविता : जिंदगी क्या है ?
कविता यह प्रश्न ही है जिंदगी | जिंदगी अमृत है, जिंदगी जहर है। जिंदगी शाम है…
कविता : परिंदा उड़ान भर लेगा
कविता देखना जिस दिन ये परिंदा उड़ान भर लेगा, ये धरती ही नहीं ये आसमान बदलेगा।…