हाथ में लेकर फिर से सुदर्शन कान्हा तुझको आना होगा,
सोए हुए है आज के अर्जुन फिर से उन्हें जगाना होगा।
असमंजस में पड़ा है युवक क्या करें कुछ ना सुझ रहा है?
व्यवस्थाओं से पीड़ित होकर कुंठाओ से जूझ रहा है।
ऐसे में ओ भोले कृष्ण गीता गीत सुनना होगा।
हाथ में लेकर फिर से सुदर्शन कान्हा तुझको आना होगा।।
वेष बदलकर घूम रहे हैं दुशासन चौराहे पर,
? सत्ता के भीष्म भी देखो आज खड़े दोराहें पर।
आज खड़ा फिर कोई विदुर राह तुम्हारी देख रहा,
सत्ता के मोहनभोग को आज पुन: ठुकराना होगा।
हाथ में लेकर फिर से सुदर्शन कान्हा तुझको आना होगा।।
एक नहीं लाखों द्रोपती पीड़ित और लाचार हुई,
युधिष्ठिरों का देख मौन मानवता शर्मसार हुई।
त्राहिमाम चहुंओर हो रहा गोवर्धन को आज सजाओ,
हाथ उठाकर पुन:सुदर्शन शिशुपाल समझाना होगा।
हाथ में लेकर फिर से सुदर्शन कान्हा तुझको आना होगा।।
कवी
डाक्टर प्रेम किशोर”निडर”