नई दिल्ली। भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को चलन में लाने के लिए सरकार पूरी तरह से सक्रिय है, हालांकि बड़े पैमाने पर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को अपनाने का रास्ता अभी लंबा है। लेकिन देश में इलेक्ट्रिक वाहन और उनकी बैटरी को लेकर शोध जारी है।
बता दें, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) बॉम्बे और शिव नादर विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की एक संयुक्त टीम नई तकनीक लेकर आए हैं जिससे पर्यावरण के अनुकूल लिथियम-सल्फर (Li-S) बैटरी का उत्पादन किया जा सकेगा।
एक रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं का कहना है कि वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग में उपयोग की जाने वाली सबसे लोकप्रिय बैटरी लिथियम आयन बैटरी की तुलना में तीन गुना तक अधिक ऊर्जा देने में सक्षम होगी। यह Li-S बैटरी पेट्रोलियम रसायन के उत्पादों जैसे सल्फर, कृषि- वेस्ट तत्वों आदि का प्रयोग करके बनाई जाएंगी।
शिव नादर विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर बिमलेश लोखब ने कहा कि, “यह शोध एक समाधान खोजने के लिए हरित रसायन विज्ञान के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित करता है, जो उद्योगों और पर्यावरण की आवश्यकताओं को एक साथ संबोधित करता है। इससे बनने वाली बैटरी तीन गुना अधिक ऊर्जा क्षमता के साथ सुरक्षित तकनीक, कई डोमेन में स्वच्छ है।”
उन्होंने कहा, “उदाहरण के लिए वर्तमान में इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल होने वाली लिथियम-आयन बैटरी का उपयोग करके इलेक्ट्रिक कार की रेंज 400 किमी तक दी जाती है।
वहीं, इसके प्रयोग से एक इलेक्ट्रिक कार सिंगल चार्ज में 1600 किमी तक जानें में सक्षम होगी। यानी आप अपनी कार को एक बार चार्ज करने पर दिल्ली से मुंबई तक का सफर तय कर सकते हैं।”
IIT बॉम्बे में बनी ईको फ्रेंडली बैटरी के हो रहे चर्चे, सिंगल चार्ज में देगी 1600km की ड्राइविंग रेंज।
बता दें भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड अब तेजी से बढ़ रही है, जिसके चलते वाहन निर्माता कंपनियां भी बेहतर ड्राइविंग रेंज के साथ वाहनों को पेश कर रही हैं। हालांकि, देश में अभी भी इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करना एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण ईवी सेगमेंट गति नही पकड़ पा रहा है।