उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के छह चरण का मतदान संपन्न हो चुका है। अब केवल सातवें चरण का मतदान शेष है जो सात मार्च को होगा। सातवां चरण काशी क्षेत्र है। काशी वह क्षेत्र से है जहां से चुनकर नरेंद्र मोदी दूसरी बार प्रधानमंत्री बनें हैं। भाजपा की नजर अब पूरी तरह काशी पर है। एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर खुद प्रधानमंत्री तक काशी क्षेत्र में डेरा डाले हुए हैं। ऐसा हो भी क्यों न जब काशी से प्रधानमंत्री का नाम जुड़ा है। काशी क्षेत्र में यदि भाजपा को नुकसान होता है तो भाजपा विरोधी मीडिया सीधे प्रधानमंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े करने शुरू कर देगी। इसके साथ ही विपक्षी दलों को मौका मिल जायेगा। लेकिन हम पांचवें एवं छठे चरण को देखें तो ये दोनों ही चरण सपा के लिए चिंता का विषय बन रहे हैं। अब काशी क्षेत्र से सपा को उम्मीद नहीं है। यह अवश्य है कि सपा वाराणसी शहर पर नजर जमाये हैं। यहीं कारण है कि बंगाल से ममता दीदी को वाराणसी बुलाया गया। सपा की चिंता का मुख्य कारण बसपा का बढ़ना है। पांचवें एवं छठे चरण में बसपा का हाथी अन्य चरणों के मुकाबले तेज गति से चला है। यहीं तेजी सपा को नुकसान पहुंचा रही है। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इन चरणों में बसपा ने सपा को इकतरफा जा रहे अल्पसंख्यक मतदाताओं में घुसपैठ की है। इसके साथ ही उसके परंपरागत मतदाताओं को तोड़ना बसपा विरोधी दलों के लिए कठिन हो रहा है। अंतिम तीन चरणों में जिस प्रकार सपा की चिंता बढ़ी है उसे देखते हुए विश्लेषकों ने भी सपा की संभावित सीटों में कुछ कमी कर दी है तो बसपा एवं भाजपा की सीटों में वृद्धि की है। लेकिन यह तो चुनाव परिणाम ही बतायेंगे कि ऊंट किस करवट बैठ रहा है। इस चुनाव में राजनीति विश्वलेषक भी कोई स्पष्ट भविष्यवाणी करने से बचना चाहते हैं। अब सभी की नजरें दस मार्च पर लगी है।