Dainik Athah

कविता: नीलगगन तो नीलगगन तू आता जाता है ।।

कविता नील गगन को ढककर बादल क्यों इठलाता है? नीलगगन तो नीलगगन तू आता जाता है…

कविता: खुशियों से धरती को भरें दें।।

कविता स्वच्छ हो पानी नदी के अंदर , उज्ज्वल लहरों भरा समंदर,  आओ हम कुछ ऐसा…

कविता : केसरिया सबका अभिनंदन

कविता केसरिया बस रंग नहीं, बलिदानों की गाथा है, ओढ केसरी बाना सूरज, जगत जगाने आताहै।…