Dainik Athah

हेमा मालिनी ने किया डा. दिनेश पाठक ‘शशि’ की दो पुस्तकों का लोकार्पण

– प्रख्यात फिल्म अभिनेत्री और मथुरा- वृन्दावन क्षेत्र की सांसद

अथाह संवाददाता
मथुरा। मथुरा के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि’ की उन्तीस और तीसवीं पुस्तक -भारतीय रेल के हिन्दी सेवी और छुक-छुक चलती अपनी रेल बाल कविता संग्रह का लोकार्पण प्रख्यात फिल्म अभिनेत्री और मथुरा-वृन्दावन क्षेत्र की सांसद हेमामालिनी ने किया।
डॉ.दिनेश पाठक ‘शशि’ की पुस्तक भारतीय रेल के हिन्दी सेवी में आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी जिनके नाम पर हिन्दी साहित्य का द्विवेदी युग चला, गीतकार शैलेन्द्र जिनके हजारों गाने फिल्म जगत में धूम मचाते रहे हैं, पद्मश्री केपी सक्सेना जिनके व्यंग्य दूरदर्शन पर मनोरंजन करते रहे हैं, फिल्म जगत के ही गुलशन बाबरा, अन्तर्राष्टÑीय कवि किशन सरोज सहित भारतीय रेल के 151 हिन्दी सेवियों की जीवनी समाहित की है। इतना ही नहीं इस पुस्तक में रेल के ऐसे साहित्यकार की भी जीवनी दी गई है जिसकी कहानियों का अनुवाद 155 भाषाओं में किया जा चुका है तो 102 वर्ष की उम्र में अपनी पहली पुस्तक लिखकर विश्व रिकार्ड बनाने वाले साहित्यकार की भी जीवनी दी गई है। ऐसे भी साहित्यकार का विवरण इस पुस्तक में समाहित किया गया है जो बचपन से ही विकलांग होते हुए भी रेलविभाग में लेखाधिकारी के पद तक गया।
पुस्तक के आवरण पर आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी, गीतकार शैलेन्द्र, पद्मश्री केपी सक्सेना तथा लखनऊ की वरिष्ठ लेखिका स्नेहलता के चित्र और भारतीय रेल के भाप, डीजल और विद्युत इंजनों के साथ गतिमान रेलगाड़ी के चित्र आवरण को मनोहारी बना रहे हैं। लोकार्पण समारोह में उपस्थित वरिष्ठ साहित्यकार देवीप्रसाद गौड़ ने पुस्तक को रेल विभाग पर शोध करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक बताया तो सांसद प्रतिनिधि जनार्दन शर्मा ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए उसे शोधार्थियों के लिए मील का पत्थर बताया। पब्लिक रिलेशन अधिकारी अनुपमा पाठक, लेखिका उषा शर्मा और मैमोरी गर्ल डॉ. प्रेरणा शर्मा और सक्षम ने पुस्तक की भूरि-भूरि प्रशंसा की।


दूसरी पुस्तक-छुक-छुक चलती अपनी रेल में बच्चों को पसंद आने वाली छोटी-छोटी सुमधुर कविताएं हैं जिन्हें बच्चे गुनगुनाकर आनन्द ले सकते हैं। इससे पूर्व डॉ.दिनेश पाठक शशि की हिन्दी साहित्य की कहानी, बाल कहानी, व्यंग्य, लघुकथा, बाल उपन्यास एवं समालोचना, निबध और नाटक आदि विविध विधाओं की 29 पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। 2009 में उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर भीमराव अम्बेडकर विश्व विद्यालय आगरा से शोध किया जा चुका है। इतना ही नहीं उनकी कई बाल कहानियां कक्षा-1,2 एवं कक्षा -6 के हिन्दी पाठ्यक्रम में भी पढ़ाई जा रही हैं तो उनकी बाल कहानी -भूल पर शार्ट फिल्म का भी निर्माण हो चुका है।
भारत सरकार के प्रेमचंद पुरस्कार और लालबहादुरस्त्री पुरस्कार , उत्तर प्रदेष सरकार के अमृतलाल नागर बाल कथा सम्मान और श्रीधर पाठक-नामित पुरस्कार सहित तीन दर्जन से अधिक बार पुरस्कृत होने वाले साहित्यकार डॉ.दिनेश पाठक शशि रेल विभाग से सीनियर सेक्शन इंजीनियर के पद से 2017 में सेवानिवृत्त हुए हैं।

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