संघ के अधिकारी भी रखे थे पूरे चुनाव पर नजर फोटो अजीत पाल त्यागी, संजीव शर्मा, दिनेश सिंघल, नंद किशोर एवं डा. मंजू शिवाच अशोक ओझा गाजियाबाद। गाजियाबाद जिले में भारतीय जनता पार्टी ने जिले की चारों सीटें जीतकर विपक्षियों के साथ ही अपने ही घर के विरोधियों को कड़ा संदेश दे दिया है। जीत हासिल हुई विधायकों एवं संगठन की जुगलबंदी से। जबकि यदि हार होती तो भाजपा (जे) के चलते। लेकिन भाजपा (जे) की नहीं चल सकी। भाजपा (जे) के कारण ही लोनी व मुरादनगर में कांटे का संघर्ष हुआ। भाजपा ने रजापुर एवं भोजपुर ब्लाक प्रमुख चुनाव निर्विरोध जीतने में सफलता प्राप्त की थी। इसमें भी संगठन के जिला व महानगर अध्यक्षों दिनेश सिंघल एवं संजीव शर्मा के साथ ही विधायक अजीत पाल एवं डा. मंजू शिवाच की मुख्य भूमिका रही। दोनों ही चुनावों में जीत तालमेल से हुई। लेकिन मामला फंसा मुरादनगर एवं लोनी में। दोनों सीटों पर कांटे का संघर्ष हुआ। यहां पर भाजपा प्रत्याशियों को जहां विरोधियों से मुकाबला करना पड़ रहा था, वहीं दूसरी तरफ अपने ही जयचंदों से भी मुकाबला करना पड़ रहा था। इसी कारण कुछ भाजपाई विरोध करने वालों को (जे) अर्थात जयचंद की संज्ञा दे रहे हैं। भाजपा सूत्रों के अनुसार लोनी में जहां पूरी भाजपा ही भाजपा के बागी के साथ खड़ी थी, वहीं पूर्व विधायक भी मनीष कसाना की पत्नी रेणु कसाना के साथ थे। । सूत्रों का दावा है कि केंद्रीय राज्यमंत्री एवं स्थानीय सांसद जरनल वीके सिंह भी रेणु कसाना के पक्ष में थे। इसी कारण भाजपा प्रत्याशी को जीत हासिल करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। लेकिन नंद किशोर गुर्जर की मेहनत रंग लाई। मुरादनगर की बात करें तो यहां पर भाजपा प्रत्याशी राजीव त्यागी को भी भाजपा (जे) के कारण कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। भाजपा (जे) पहले तो बसपा से निष्कासित केडी त्यागी को भाजपा में शामिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही थी। लेकिन इसमें जब वे सफल नहीं हो सके तो केडी की पत्नी को पर्दे के पीछे से लड़ाना शुरू कर दिया। मुरादनगर में तो सांसदों के साथ ही पूर्व सांसद जिन्हें पद मिला है तथा एक पूर्व एमएलसी के साथ ही एक वरिष्ठ नेता भी पार्टी प्रत्याशी को हराने के लिए जुटे हुए थे। पुलिस व प्रशासन पर भी दबाव बनाया जा रहा था कि भाजपा प्रत्याशी की मदद न हो। लेकिन विधायक अजीत पाल त्यागी एवं महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा की जुगलबंदी ने उनके इरादों पर पानी फेर दिया। सूत्रों के अनुसार पूरे चुनाव पर संघ के अधिकारी भी नजर गड़ाये बैठे थे। भविष्य में उनकी रिपोर्ट भी कुछ लोगों के लिए मुश्किलें पैदा करेंगी।