अशोक ओझा:
उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 75 में से 67 जिलों के जिला पंचायत अध्यक्ष पदों पर कब्जा कर पूरे प्रदेश में चाहे भगवा लहरा दिया हो लेकिन बागपत में जिस प्रकार भाजपा को रालोद मुखिया जयंत चौधरी ने हार तक पहुंचा दिया वह भाजपा को लंबे समय तक कचोटता रहेगा। प्रदेश भर में भगवा लहरा कर भाजपा ने यह साबित कर दिया कि जिला पंचायत अध्यक्ष एवं ब्लाक प्रमुख चुनाव को वह भी सपा एवं बसपा की तर्ज पर साम दाम दंड भेद की नीति पर चलकर जीत हासिल कर सकती है। यह किसी से छुपा नहीं है कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में पैसा ताकत एवं शासन प्रशासन के बल पर ही जीत हासिल हो सकती है भाजपा ने इन सभी का भरपूर इस्तेमाल किया है।
पैसा वे ताकत भी सभी काम आते हैं जब पुलिस प्रशासन का सहयोग उनको मिले अन्यथा वैसे वह ताकत में भाजपा के विरोधी भी 19 नहीं है। सपा व बसपा, भाजपा के ऊपर चाहे कुछ भी आरोप क्यों ना लगाएं, लेकिन क्या इन्हीं हथ कंडो का प्रयोग ये दोनों दल चुनाव में नहीं करते रहे हैं। भाजपा ने इन चुनावों में जीत हासिल कर संगठन वह सरकार में तालमेल का संदेश देने का भी प्रयास किया अब ब्लॉक प्रमुख चुनाव में फिर भाजपा को इम्तिहान से गुजरना होगा। यह इम्तिहान भी अगले कुछ दिनों में पास करना होगा। जिला पंचायत सदस्य चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिस तरह भाजपा की फजीहत उसी हुई थी उसकी भरपाई 14 में से 13 जिलो में अध्यक्ष बनवाकर भाजपा ने पूरी कर ली है।