किसानों की जमीन कब्जाने का मामला विधान परिषद में गूंजा
बिल्डर को जमीन न देने वाले किसानों पर व युवाओं को पीटा गया, फसल पर जेसीबी चलवाकर फसल नष्ट की गई
किसान बम्हैटा से पलायन करने को तैयार है, सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा कराने की मांग
अशोक ओझा
लखनऊ। गाजियाबाद जिले के बम्हैटा में बिल्डर द्वारा पुलिस- प्रशासन के साथ मिलकर किसानों से जबरन जमीन का बैनामा करवाने, किसानों की खड़ी फसल उजाड़ने का मामला विधान परिषद में सपा के विधान परिषद सदस्य जितेंद्र यादव ने पुरजोर तरीके से उठाते हुए आरोप लगाया कि बम्हैटा गांव में तांडव किया गया है। इसके साथ ही किसानों के ऊपर फर्जी मुकदमें लगाये गये। उन्होंने सदन की कार्यवाही रोक कर इस मामले में चर्चा करवाने की मांग की।
बुधवार को विधान परिषद में नियम 105 के तहत बम्हैटा में हुए तांडव का मुद्दा उठाते हुए जितेंद्र यादव ने कहा कि आदित्य बिल्डर बम्हैटा के किसानों से जबरन जमीन हथियाना चाहता है। इसको लेकर पूरे प्रदेश व प्रदेश का किसान चिंतित है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार के जमीन अधिग्रहण कानून के अनुसार यदि शहर की जमीन का अधिग्रहण होता है तो सर्किल रेट का दो गुना एवं गांव की जमीन है तो सर्किल रेट का चार गुना मुआवजा देना होगा। उन्होंने कहा कि 18 फरवरी को पुलिस- प्रशासन के माध्यम से बिल्डर जबरन जमीन पर कब्जा लेने पहुंचा। मौके पर गई 10 से 12 जेसीबी ने किसानों की खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया। जब किसानों ने विरोध किया तो उनके ऊपर लाठीचार्ज किया गया। इसके साथ ही 60 किसानों व युवाओं के विरूद्ध कविनगर थाने में गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर दी गई।
जितेंद्र यादव ने कहा कि रात में बिल्डर के लोग किसानों के पास जबरन जमीन के लिए हस्ताक्षर करवाने जाते हैं। वे कहते हैं कि हस्ताक्षर कर दोगे तो मुकदमें वापस ले लिए जायेंगे। किसान का दुर्भाग्य है कि वह अपनी एवं पुरखों की जमीन को अपनी नहीं कह सकता। उन्होंने सदन में वीडियो दिखाने के लिए इजाजत भी मांगी। साथ ही कहा कि बम्हैटा में विस्फोटक स्थिति है। मुकदमे लगाकर किसान एवं युवाओं को बर्बाद करने का काम हो रहा है। जबरन जमीन पर कब्जा लेने के साथ ही रातों रात सड़कें भी बिल्डर ने बना दी।
सपा एमएलसी जितेंद्र यादव ने कहा कि यदि बम्हैटा में एक इंच जमीन का भी अधिग्रहण हुआ हो तो वे राजनीति छोड़ देंगे। उन्होंने दोषी पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने तथा सदन की कार्यवाही रोक कर चर्चा कराने की मांग की।
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