Dainik Athah

संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र बचेगा: अखिलेश यादव

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि लोकतंत्र के महापर्व लोकसभा चुनाव 2024 में इस बार बड़ी संख्या में नए बने मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। सच पूछिए तो पहले 21 वर्ष की आयु के मतदाताओं की आयु के मतदाताओं की जगह अब जो 18 वर्ष की आयु के मतदाता बने है, उसके पीछे समाजवादियों का संघर्ष रहा है। डा. राममनोहर लोहिया का मानना था कि 18 वर्ष की आयु में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी का अधिकार मिलना चाहिए। समाजवादियों ने इसके लिए जो संघर्ष किया उसमें सफलता मिली।

उन्होेंने कहा जिस पीढ़ी को पहली बार मतदान करने का अवसर मिला है उसने मतदान की परम्परा ही नहीं निभाई बल्कि अपने भविष्य, अपने सुरक्षा के साथ नई सोच को भी सामने रखकर मतदान किया। आज का युवा खेती किसानी के साथ प्रौद्योगिकी और अत्याधुनिक अनुसंधानों तक से जुड़ा हुआ है। जिन लाखों युवाओं ने पहली बार मत डाला, उनके अपने भविष्य को लेकर चिंता वाजिब है। वैसे इस बार के लोकसभा चुनाव में जहां कई युवा चेहरे लड़ाई में हैं, वहीं कई आकर्षण के केन्द्र में है वे जो विदेश से पढ़कर अपनों के चुनाव प्रचार में उतरे है। नई पीढ़ी का यह सपना है कि वे लोकतंत्र की परम्परा से स्वस्थ और सशक्त भारत को नई दिशा देंगे।

अखिलेश यादव ने सचेत किया कि बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर का संविधान और देश का लोकतंत्र खतरे में है। भाजपा डा. भीमराव अम्बेडकर के बनाये संविधान को बदलना चाहती है। इस चुनाव में एक तरफ संविधान बचाने की लड़ाई लड़ने वाले हम इंडिया गठबंधन के लोग हैं वहीं दूसरी तरफ संविधान बदलने की बात करने वाले भाजपा के लोग है। उन्होंने कहा कि संविधान बचेगा तभी लोकतंत्र बचेगा। तभी जनता का वोट देने का अधिकार और अन्य अधिकार सुरक्षित रहेंगे। भाजपा जनता के अधिकार छीनना चाहती है। भाजपा के पास विकास का कोई रोड मैप नहीं है। इस सरकार ने भ्रष्टाचार किया। बजट को लूटा है। आज जनता के पास एक बार फिर मौका आया है, वह अपनी समस्याओं से छुटकारा पा सकती है।
उन्होंने कहा यह तो आज का नौजवान जानता है कि भाजपा राज में युवाओं के प्रति कोई संवेदना नहीं है। युवाओं का भविष्य असुरक्षित और अंधेरे में है। भाजपा नेतृत्व के वादे कभी पूरा होने वाले नहीं है। 2 करोड़ नौकरियों का सपना नौजवान देखते ही रह गया। रोटी रोजगार की कोई व्यवस्था नहीं। उसकी परीक्षाएं पेपर लीक के कारण रद्द कर दी गई। मेक इन इंडिया, स्मार्ट इंडिया का अतापता नहीं चला। बाहरी निवेश आया नहीं, नए उद्योग लगे नहीं उसके बड़े-बड़े दावे
फुस्स हो गए।


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