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बिजेंद्र यादव- सुशांत गोयल को प्रदेश महासचिव बनाकर दिया बड़े बदलाव का संकेत

  • कांग्रेस की जंबो प्रदेश कमेटी में गाजियाबाद से मात्र 3 चेहरे
  • वर्तमान में बिजेंद्र यादव निभा रहे थे जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी, सुशांत गोयल को मिला सक्रियता का तोहफा
  • प्रदेश कमेटी में जिले से तीन लोगों को ही मिल सका स्थान

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस की जंबो कमेटी की घोषणा कर दी। कमेटी में जिस प्रकार गाजियाबाद जिले से मात्र तीन लोगों को ही स्थान मिला है वह यह साबित करने के लिए काफी है कि प्रदेश कांग्रेस भी अब बदलाव की तरफ चल दी है। पुराने और उम्रदराज नेताओं के स्थान पर वह सक्रिय और युवा चेहरों को तरजीह दे रही है।
बता दें कि दो दिन पहले प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने 130 सदस्यीय जंबो कमेटी घोषित की है। इस कमेटी में गाजियाबाद जिला कांग्रेस अध्यक्ष बिजेंद्र यादव के साथ ही पूर्व सांसद सुरेंद्र प्रकाश गोयल के पुत्र एवं कांग्रेस के युवा नेता सुशांत गोयल को स्थान दिया है। बता दें कि ये दोनों ही 2022 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। सुशांत गाजियाबाद शहर सीट से और बिजेंद्र यादव मुरादनगर विधानसभा से चुनाव लड़े थे। हालांकि दोनों की जमानत जब्त हो गई, लेकिन सुशांत ने जिस प्रकार मजबूती से चुनाव लड़ा उसका संकेत दूर तलक गया था। यहीं कारण है कि सुशांत को पहली बार कांग्रेस में बड़ी जिम्मेदारी मिली है।

सुशांत गोयल को स्व. सुरेंद्र प्रकाश गोयल का पुत्र होने का लाभ मिला है। बता दें स्व. गोयल ऐसे नेता थे जिन्होंने सभासद से लेकर नगर पालिका चेयरमैन, विधायक और सांसद तक के सभी चुनाव जीते थे। उन्हें आम जनता का नेता माना जाता था, लेकिन भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने गाजियाबाद से चुनाव लड़कर यह सीट कांग्रेस से छीन ली थी। जबकि सुरेंद्र प्रकाश गोयल ने चार बार के सांसद रमेश चंद तोमर को हराया था। सुशांत कांग्रेस के नये चेहरों में सबसे आगे हैं। इसके साथ ही वे शहर में भी कांग्रेस के सबसे सक्रिय युवा नेता है।
यदि बिजेंद्र यादव की बात करें तो अनेक कांग्रेसियों के पार्टी छोड़ने के बाद भी वे कांग्रेस में मजबूती से पैर ही नहीं जमाये रहे, बल्कि पार्टी को भी मजबूती प्रदान करने का काम किया है। कमेटी में पंकज सिंहानिया को सचिव बनाकर उनकी पदोन्नति की गई है।
जिस प्रकार कमेटी घोषित हुई है उससे यह लगता है कि पार्टी नेतृत्व पुराने नेताओं को अब उम्रदराज मान चुका है। नेतृत्व का मानना है कि इनके सहारे पार्टी को फिर से खड़ा नहीं किया जा सकता तथा पुराने नेता सबसे अधिक गुटबाजी करते हैं, यहीं कारण है कि पुरानों को दरकिनार कर दिया गया।

पिछली प्रदेश कमेटी में कांग्रेस के प्रदेश महासचिव रहे संजीव शर्मा का नाम कमेटी में ना होना कांग्रेस के सभी नेताओं को आश्चर्य चकित कर रहा है। उन्हें सक्रिय नेताओं में गिना जाता है। इसके साथ ही अखिल भारतीय काग्रेस कमेटी ने उन्हें पूर्वी दिल्ली लोकसभा के कोर्डिनेटर की जिम्मेदारी भी दी हुई है। जिस प्रकार उन्हें जिम्मेदारी दी हुई है उसे देखकर यह लगता है कि जल्द ही उन्हें किसी अच्छे पद से नवाजा जायेगा। कांगे्रस पर पैनी नजर रखने वाले एक पत्रकार का कहना है कि कमेटी में पुरानों और नयों को मिलाकर जैसा समन्वय नजर आना चाहिये था उसका अभाव है।


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