- घाटे से उबरने लगा गाजियाबाद विकास प्राधिकरण
- हर वर्ष ऋण के 225 करोड़ रुपये चुकाने पड़ते हैं जीडीए को
- गाजियाबाद में विकास कार्यों के साथ ही मेट्रो विस्तार की जगी उम्मीद
अशोक ओझा
गाजियाबाद। रूग्ण और गरीब हो चुके गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) के संबंध में एक अच्छी खबर सामने आई है। 2015 से अर्थात पिछले नौ वर्ष से लगातार घाटे में चल रहा जीडीए इतने वर्षों बाद पहली बार लाभ में जाता नजर आ रहा है। जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह की सख्ती को इसका श्रेय दिया जा रहा है।
बता दें कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण का सीमा विस्तार तो लगातार हो रहा है। जीडीए का विस्तार होकर लोनी नगर पालिका एवं मोदीनगर नगर पालिका क्षेत्र और नगर पालिकाओं के बाहर के गांव भी जीडीए में शामिल हो चुके हैं। बावजूद इसके जीडीए की खस्ता हालत के कारण विकास कार्य न के बराबर हो रहे थे। लेकिन अब जीडीए लग रहा है कि पिछले नौ वर्षों के इतिहास को बदलने जा रहा है। इसके बाद गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के अधिसूचित क्षेत्र में विकास की उम्मीद भी जगने लगी है।
यदि आंकड़ों पर एक नजर डालें तो मात्र 2017- 18 में ही जीडीए के पास खर्चों के बाद अतिरिक्त धनराशि 14. 48 करोड़ रुपये थी, अन्यथा हर वर्ष प्राधिकरण या तो घाटे में था अथवा अतिरिक्त धनराशि के मामले में दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच सका। यह पहली बार है कि वर्ष 2022-23 में प्राधिकरण के पास 225 करोड़ रुपये सालाना ऋण के रूप में चुकाने के बाद भी 122.63 करोड़ रुपये अतिरिक्त खाते में जमा है। वर्ष 2015- 16 में जीडीए 146.18 करोड़ रुपये घाटे में था, वहीं 2016-17 में 502.72 करोड़ रुपये का घाटा, केवल 17-18 में ही 14.48 करोड़ के लाभ हुआ। इसके बाद देखें तो 2018-19 में 6.92 करोड़ का लाभ, 2019-20 में 157.26 करोड़ का घाटा, 2020-21 में 92.56 करोड़ का घाटा, 2021-22 में 4.74 करोड़ का लाभ और अब 2022-23 में 122. 63 करोड़ के लाभ में।
जीडीए ने यह आय आवासीय, औद्योगिक, व्यावसायिक और शिक्षा भूखंडों की बिक्री से हुई है।
जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह प्राधिकरण की अनिस्तारित संपत्तियों के निस्तारण के साथ ही विभिन्न शुल्क के जरिये आय बढ़ाने में लगे हैं। यदि आंकड़ों को देखें तो प्राधिकरण ने 107.50 करोड़ रुपये विभिन्न प्रकार की योजनाओं में शुल्क से ही वसूले हैं। इसमें भी सबसे अधिक 74.46 करोड़ रुपये ग्रुप हाऊसिंग से शुल्क के रूप में प्राप्त किये हैं। होटलों से 14.05 करोड़, आवासीय क्षेत्र में ले आऊट से 8.3 करोड़ रुपये की वसूली की है।
प्राधिकरण में मानचित्रों को पास करने के साथ ही जो संपत्तियां बिकी नहीं थी उनके ऊपर विशेष रूप से ध्यान दिया जा रहा है। इसमें प्राधिकरण के अधिकारी एवं कर्मचारी पूर्ण मनोयोग से काम कर रहे हैं। आने वाले समय में संपत्तियों को निस्तारित करने के साथ ही मानचित्रों की स्वीकृति से आय बढ़ाई जायेगी। इस बार इतना धन एकत्र हुआ है वह सालाना ऋण के 225 करोड़ रुपये के भुगतान के बाद है। प्राधिकरण की सेहत में सुधार होने से भविष्य में गाजियाबाद के विकास पर धन खर्च किया जायेगा।
राकेश कुमार सिंह, उपाध्यक्ष गाजियाबाद विकास प्राधिकरण