अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। दिल्ली-एनसीआर के दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में गाजियाबाद सबसे स्वच्छ है। बृहस्पतिवार को घोषित स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 के परिणाम में शहर को यह गौरव हासिल हुआ। प्रदेश स्तर पर दो पायदान फिसल कर शहर तीसरे स्थान पर पहुंच गया। वहीं देश में 19वां स्थान मिला। जबकि पिछले वर्ष 13वां पायदान प्राप्त हुआ था।
दिल्ली-एनसीआर के शहरों के अंक
गाजियाबाद – 4283.26
दक्षिणी दिल्ली – 3422.27
फरीदाबाद – 2646.69
उत्तरी दिल्ली – 2169.25
पूर्वी दिल्ली – 1962.31
(कुल 6000 अंकों में से प्राप्तांक)
केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने लीग फॉरमेट में स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 कराया। जोकि, पिछल चार सर्वेक्षण से बिल्कुल अलग था। सेवा स्तर, प्रमाणीकरण, नागरिक प्रतिक्रिया और प्रत्यक्ष अवलोक के आधार पर शहर की स्वच्छता को परखा गया। इन मानकों पर स्वच्छता की परख कर शहर को छह हजार में से 4283.26 अंक दिए गए हैं। इन अंकों के आधार दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों में गाजियाबाद दिल्ली-एनसीआर के शहरों में पहले पायदान पर है। दक्षिणी दिल्ली दूसरे, फरीदाबाद तीसरे, उत्तरी दिल्ली चौथे और पूर्वी दिल्ली पांचवे स्थान पर है। प्रदेश स्तर पर इस बार लखनऊ और आगरा ने बाजी मार ली। लखनऊ ने पहला और आगरा ने दूसरा स्थान प्राप्त किया है। हमारे शहर को तीसरा स्थान मिला है। पिछली बार अपना शहर प्रदेश में पहले, कानुपर दूसरे और आगरा तीसरे पायदान पर था। लखनऊ वरीयता सूची में था।
सर्वेक्षण टीम को सही जवाब देकर जनता ने बचाई लाज
दिल्ली-एनसीआर में अव्वल रहने के पीछे शहरवासियों का योगदान है। उन्होंने अच्छी प्रतिक्रिया देकर और सर्वेक्षण करने वाली टीम के सवालों का सही जवाब देकर शहर की लाज बचाई। उनकी वजह से प्रत्यक्ष अवलोकन और नागरिक प्रतिक्रिया में सबसे ज्यादा अंक मिले। कूड़ा निस्तारण के मामले में शहर को शून्य मिला है। वैज्ञानिक तरीके से कूड़ा निस्तारित करने के लिए प्लांट न होने के कारण शहर को पूरे 500 अंकों का नुकसान हुआ है। इसका देश और राज्यस्तर पर स्थान फिसला। पिछले साल जनवरी में स्वच्छता सर्वेक्षण हुआ था। तब सिद्धार्थ विहार में डंपिग ग्राउंड था। शहर का 1200 मीट्रिक टन कूड़ा वहां ठिकाने लगाया जाता था। वहां दस करोड़ रुपये की लागत से कूड़ा निस्तारण के लिए प्लांट भी लगा था। स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 में इसके के लिए 500 में से 350 अंक मिले थे। सर्वेक्षण के बाद 18 फरवरी 2019 को एनजीटी द्वारा गठित उत्तर प्रदेश राज्य ठोस कचरा प्रबंधन समिति के आदेश पर इस डंपिग ग्राउंड में कूड़ा डालना बंद कर दिया था। इस वजह से यहां लगा कूड़ा निस्तारण प्लांट भी ठप हो गया। व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए नगर निगम को प्लांट यहां से उखाड़ कर दूसरी जगह लगाना चाहिए था। जोकि नहीं किया गया। इसके बजाय मोरटा, मधुबन-बापूधाम, न्यू हिडन विहार, सिकरोड, दुहाई समेत विभिन जगहों पर कूड़ा जहां-तहां डालते रहे।
इसके चलते आए दिन झगड़े भी हुए और मुकदमे लिखे गए। कूड़ा ठिकाने लगाने में आ रही दिक्कत के चलते घरों से कचरा उठाने की सेवा भी प्रभावित हुई। गालंद में वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट की डीपीआर तक नहीं बन पाई। सर्वेक्षण शुरू होने के ऐन मौके पर सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करने पर ध्यान दिया गया। इसका कोई लाभ नहीं हुआ। यही वजह है कि कूड़ा निस्तारण में शून्य हासिल हुआ। इस श्रेणी में अंक खोने की वजह से स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिग में 13 से 19वें पायदान पर शहर पहुंच गया।
कूड़ा का निस्तारण ना हो पाने के कारण नहीं मिला उच्च स्थान : महापौर
गाजियाबाद। स्वच्छता सर्वेक्षण 2019 में गाजियाबाद नगर निगम राष्ट्रीय स्तर पर 13वा स्थान पर एवं प्रदेश में पहले स्थान पर था जो स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में राष्ट्रीय स्तर पर 19वा स्थान एवं प्रदेश में तीसरे स्थान पर आ गया है। स्वच्छता सर्वेक्षण में राष्ट्रीय स्तर पर 6 रैंक नीचे और प्रदेश स्तर पर दो रैंक नीचे गिरने पर नगर निगम की कार्यशैली पर जहां सवालिया निशान लगता है।
नगर निगम के विभिन्न वार्डो की सफाई व्यवस्था भी स्वच्छता को आईना दिखाती है, शायद यही कारण है कि नगर निगम जहां प्रदेश में पहले स्थान पर रहा अब तीसरे स्थान पर रह गया है। राष्ट्रीय एवं प्रदेश स्तर पर स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम के बिछड़ने पर महापौर आशा शर्मा ने बयान जारी कर कर कहा कि स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में नगर निगम गाजियाबाद को राष्ट्रीय स्तर पर 19 वा स्थान एवं प्रदेश में 3 स्थान प्राप्त हुआ है।
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इस परिणाम में गाजियाबाद को उचित स्थान प्राप्त नहीं हो सका इसका महत्वपूर्ण कारण यह है कि एनजीटी के आदेश पर प्रताप विहार डंपिंग ग्राउंड बंद कर दिया गया, जिससे कूड़े का निस्तारण ना हो पाने के कारण गाजियाबाद स्वच्छता सर्वेक्षण 2020 में उच्च स्थान प्राप्त नहीं कर सका एवं मुझे पहले से ही लग रहा था इस अवस्था में हम और आगे नहीं बढ़ रहे हैं बल्कि कुछ ना कुछ नीचे ही जाएंगे। इसीलिए मुझे पत्र के माध्यम से मुख्य सचिव से सहायता लेनी पड़ी तब जाकर तेजी से कार्य शुरू हुआ था मेरा मानना है कि हम रैंक के लिए कार्य ना करें बल्कि स्वच्छता 247 होनी चाहिए और स्वच्छता पर स्थाई कार्य करना चाहिए।
क्योंकि टेंपरेरी कार्य से हम पैसा ही खराब करते हैं। अब मैं नए नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर से मंत्रना करूंगी और वह युवा हैं संभवतय अब ऐसा काम हो पाएगा कि केवल सर्वेक्षण के समय ही कार्य ना करना पड़े, शहर हमेशा साफ रहे, सुंदर रहे, हमारे नए नगर आयुक्त युवा हैं इसलिए उनसे मुझे ज्यादा उम्मीदें हैं और जब कोई गाजियाबाद में आए तो हमेशा शहर साफ दिखे सुंदर दिखे।
हमारे प्रधानमंत्री जी,मुख्यमंत्री जी भी यही कहते हैं कि सतत स्वच्छ रहें और अगली बार निश्चित रूप से बहुत अच्छा कार्य करके दिखाएंगे अपना शहर और सुन्दर बनाएंगे और स्वच्छता सर्वेक्षण में भी अपनी रैंक को बढ़ाएंगे।