मुरली बजाकर जिसने
सबको नचाया,
माखन चुराकर जिसने खाया।
खुशियां मनाओ उसके
जन्मदिन की,
जिसने दुनिया को प्रेम का
पाठ पढ़ाया।।
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में बड़े हर्षोल्लास से मनाया जाता है। प्रेम की पराकाष्ठा माने जाने वाले मुरलीधर जन जन के हृदय में वास करते हैं। द्वापर युग में हर व्यक्ति ने अपने अपने ढंग से प्रभु से संबंध बनाया और भगवान ने भी उस संबंध को बड़ी ही निष्ठा से निभाया।
फिर चाहे ग्वाल बालों के साथ मिलकर माखन चुराना हो, गोपियों के वस्त्र हरण करना हो, द्रौपदी के मान की रक्षा करना हो, निर्धन सुदामा से मित्रता निभाना हो, दुर्योधन का महल छोड़कर विदुर जी के घर साग खाना हो,या सारथी बनकर अर्जुन का रथ हांकना हो , प्रत्येक रूप में ठाकुर जी ने प्रेम की अनेक परिभाषाएं प्रस्तुत की। तभी तो उन्हें गोविन्द, गोपाल, मनमोहन मुरारि,केशव, वासुदेव,माधव और न जाने कितने ही नामों से जाना जाता है।
उसी तरह भगवान का जन्मोत्सव भी अलग अलग स्थानों पर भिन्न भिन्न प्रकार से मनाया जाता है। कहीं उपवास रखने का चलन है, तो कहीं दही हांडी फोड़ने का,कहीं रासलीला तो कहीं संकीर्तनकोई तो अपने बच्चों को ही भगवान की तरह पोशाक पहनाकर, हाथ में मुरली पकड़ाकर, मोरपंख का मुकुट लगाकर उसी को बिहारी जी का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं। मंदिरों में तो इस पर्व की शोभा देखने योग्य होती है।
कोरोना महामारी के चलते इस वर्ष मंदिर बंद होने के कारण सभी त्योहार बड़े फीके से लग रहे हैं। सब अपने अपने घर में बंद हैं। ऐसे में वी एन भातखंडे संगीत महाविद्यालय गाजियाबाद के द्वारा श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर एक आॅनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया , जिसमें अनेक छात्र छात्राओं ने सहभागिता की।भजन, गीत, नृत्य आदि के माध्यम से भगवान को श्रृद्धा सुमन अर्पित किए। इस कार्यक्रम में गाजियाबाद के अतिरिक्त दिल्ली, मुंबई, हल्द्वानी देहरादून आदि शहरों से लगभग 41 कलाकार जुड़े। महाविद्यालय के संस्थापक और निदेशक पंडित हरिदत्त शर्मा जी के मार्गदर्शन में 1 घंटा 23 मिनट का एक वीडियो बनाया गया, जिसे बहुत लोगों द्वारा पसंद किया जा रहा है। दूर दूर रहते हुए छात्र छात्राओं को जोड़ने का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय एवं प्रशंसनीय है।