निकाय चुनाव आरक्षण का इंतजार बढ़ा रहा दावेदारों की धड़कन
न किसी काम में मन लग रहा, न मंदिरों में माथा टेकने का दिन तय हो रहा
बस इंतजार है तो आरक्षण का, अनेक विचार ले रहे हिलौरे
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव के आरक्षण को लेकर संभावित दावेदारों की धड़कनें अब बढ़ने लगी है। इसके चलते विवाह समारोह के मौसम में भी केवल निकाय चुनाव एवं सभावित आरक्षण को लेकर चर्चाएं हो रही है।
जब से प्रदेश के निकाय चुनाव (नगर निगम, नगर पालिका परिषद एवं नगर पंचायतों) की घोषणा हुई इसके बाद अब लोगों खासकर संभावित दावेदारों को आरक्षण का बेसब्री से इंतजार है। जो लोग सभासद अथवा पार्षद का चुनाव लड़ना चाहते हैं उन्हें इनका और जो महापौर, नगर पालिका अथवा नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव लड़ना चाहते हैं उन्हें इन पदों के आरक्षण का बेसब्री से इंतजार है। स्थिति यह है कि यह इंतजार संभावित दावेदारों की धड़कन भी बढ़ा रहा है। आइये देखते हैं दावेदारें की स्थिति
दृश्य नंबर एक- फोन की घंटी बजती है तो नेताजी बगैर देरी किये फोन उठाते हैं, इस उम्मीद में कि शायद कोई आरक्षण संबंधी सूचना न आ गई हो। फोन पर आरक्षण की ही चर्चा होती है। बाद में उदासी में फोन रख देते हैं। इस दौरान फोन की घंटियां और भी बजती है लेकिन वह काम की नहीं लगती होगी सो फोन नहीं उठता।
दृश्य नंबर दो- एक नेताजी जो दिन में कभी कभार ही व्हाटसअप देखते थे अब थोड़ी थोड़ी देर में मैसेज बाक्स को देखते हैं, इस उम्मीद में कि शायद आरक्षण से संबंधी कोई सूचना प्राप्त हो जाये। पूछने पर कहते हैं भाई साहब आप लोग तो बताते नहीं हो ऐसे में व्हाटसअप ही बहाना सूचना का बहाना रह गया है।
दृश्य नंबर तीन- एक नेताजी अर्थात दावेदार महोदय को चुनाव से पहले मंदिरों में दर्शन करने जाना है। लेकिन बार बार कार्यक्रम बनाकर स्थगित करना पड़ रहा है। कारण यह है कि आरक्षण घोषित होने की तारीख भी अदालती तारीख की तरह जो हो गई है। रोज आज कल- आज कल हो रहा है। इनका कहना था कि आखिर इतनी देरी कर रहे हैं तो चुनाव कब होंगे।
अब बात कुछ ऐसे लोगों की जो हवा में तीर चला रहे हैं- इन लोगों की स्थिति ऐसी है कि अपने मन से आरक्षण की घोषणा कर रहे हैं। ऐसे लोग त्रिकालदर्शी की श्रेणी में आते हैं। ये लोग किसी भी सीट का कुछ भी आरक्षण बता सकते हैं।
अब चुनाव लड़ने वाले लड़इये मन मसोस कर बैठे हैं कि आरक्षण उनके मनमाफिक नहीं आया तो क्या होगा। लेकिन जिन्हें आरक्षण की चिंता नहीं है वे अभी से होर्डिंग से पूरे क्षेत्र को पाट दे रहे हैं।