Dainik Athah

सीलिंग के नाम पर हुआ एक और कारनामे का खुलासा

सोने का अंडा खाकर भी प्रवर्तन विभाग में मुर्गी की जान की बख्शीश नहीं

‘प्रदत्त अधिकार’ के नाम पर जीडीए में रोज लिखी जाती है भ्रष्टाचार की महागाथा

आलोक यात्री
गाजियाबाद। अवैध निर्माण या नक्शे के विपरीत निर्माण के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई के लिए जीडीए में प्रवर्तन विभाग बना है। महानगर के कुछ इलाके अवैध निर्माण के लिए खासे बदनाम हैं। इन बदनाम इलाकों में तैनाती के लिए जीडीए के अवर अभियंता से लेकर सहायक अभियंताओं में मारामारी मची रहती है। वैशाली, इंदिरापुरम, कौशांबी और विजय नगर वह इलाके हैं जहां जीडीए के अभियंताओं के भ्रष्टाचार का जहाज सालों से लंगर डाले खड़ा है। भ्रष्टाचार के जहाज पर सवार तमाम लोग सोने का अंडा तो भर पेट खाते ही हैं। मौका आते ही मुर्गी भी हजम करने में पीछे नहीं रहते। ऐसा ही एक प्रकरण आज आपके सामने है। जिसमें भरपूर सोने के अंडे खाने के बाद मुर्गी भी चट कर दी गई।

अवैध निर्माण रूपी मुर्गियां सोने का अंडा कैसे देती हैं? इस खेल को समझते हैं, वैशाली सेक्टर 4 के भूखंड पर हुए निर्माण से। इस भूखंड पर अपार्टमेंट्स का निर्माण हो रहा था। निर्माणकर्ता की ओर से 7 अप्रैल 2021 बैंक आॅफ बड़ौदा की नवयुग मार्केट शाखा में अग्रिम शमन शुल्क के रूप में दो लाख रुपए जमा करवा दिए। इसके पश्चात 7 दिसंबर 2021 को भी निर्माणकर्ता की ओर से डेढ़ लाख रुपए अग्रिम शमन शुल्क के रूप में उसी बैंक की, ऊंसी शाखा में जमा करवा दिए। यानी सात माह में निर्माणकर्ता ने दो बार में साढ़े तीन लाख रुपए अग्रिम शमन शुल्क के तौर पर जमा कर दिए। अब खेल समझिए, अग्रिम शमन शुल्क की आड़ में सोने का अंडा निगलते हुए प्रवर्तन विभाग के कर्ताधतार्ओं ने निर्माणकर्ता का दो मंजिला निर्माण होने दिया और खुद आंखें मूंदे बैठे रहे।

4 जनवरी 2022 को निर्माणकर्ता की ओर से जीडीए को ढ़ाई लाख रुपए अग्रिम शमन शुल्क के रूप में और दे दिए गए। यानी जीडीए के खाते में अग्रिम शमन शुल्क के रूप में कुल छह लाख रुपए पहुंच गए। जानकारी में आया है कि अप्रैल 2021 से जनवरी 2022 के दौरान नौ माह में निर्माणकर्ता की तीन मंजिला इमारत भी अस्तित्व में आ गई। इमारत के पूरा होने यानी अपार्टमेंट्स का निर्माण होने के पश्चात प्रवर्तन विभाग का असल खेल शुरू होता है। 15 मार्च 2022 को प्रवर्तन विभाग जोन-6 के प्रभारी द्वारा निर्माणकर्ता को उप्र नगर योजना एवं विकास अधिनियम की विभिन्न धाराओं का हवाला देते हुए एक नोटिस जारी किया जाता है।

यहां ख्याल देने वाली बात यह है कि यह नोटिस इमारत के पूर्ण होने पर जारी किया जाता है। जिसमें कहा जाता है कि आप (निर्माणकर्ता) द्वारा स्वीकृत मानचित्र से अतिरिक्त निर्माण किया गया है। नोटिस में यह भी उल्लिखित है कि 30 नवंबर 2021 के पत्र के माध्यम से आपको सूचित किया गया था कि उक्त निर्माण शमन करवा लें। किंतु आप द्वारा वर्तमान समय तक उक्त निर्माण का शमन नहीं कराया गया है। इस नोटिस में निर्माणकर्ता द्वारा अग्रिम शमन शुल्क के तौर पर प्राधिकरण के खाते में जमा 6 लाख रुपए की राशि का कोई हवाला नहीं है। क्यों भाई? यह एकतरफा नोटिस किस लिए? नोटिस में कहा गया है कि उक्त अवैध निर्माण को विभिन्न धाराओं के अंतर्गत प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए सील बंद किए जाने के आदेश पारित किए जाते हैं।

तो साहब हो गई इतिश्री। बनी बनाई बिकने को तैयार खड़ी इमारत सील हो गई। सोने के अंडे भी गए और मुर्गी भी जान से गई। यह प्रकरण मिसाल है जोन-6 में प्रवर्तन विभाग में तैनात अधिकारियों की मुठमर्दी की। जानकारी में आया है कि इमारत बनने तक निर्माणकर्ता को भरपूर चूस लेने के बाद निर्माणकर्ता से एक मोटी रकम की फरमाइश की जा रही थी। न देने पर बनी बनाई इमारत सील। निर्माणकर्ता से जब यह पूछा गया कि आप उन लोगों की उच्चाधिकारियों से शिकायत क्यों नहीं करते जिन्होंने लूट खसोट कर आपको सड़क पर ला कर खड़ा कर दिया है? निर्माणकर्ता का कहना था कि पानी में रहकर मगरमच्छ से बैर कौन करता है? ‘प्रदत्त अधिकार’ लिखने वाली कलम ने न जाने भ्रष्टाचार की कितनी महागाथाएं लिखी होंगी? उसकी पड़ताल फिर सही।

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