– धर्म की रक्षा के लिये सन्तो ने मांगा समाज का सहयोग
– जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी के सम्मान के लिये मुट्ठी भर संत और हिन्दू सड़क पर
अथाह संवाददाता
मुजफ्फरनगर। हरिद्वार के सर्वानन्द घाट से शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी की रिहाई के लिये चला सन्तों का छोटा सा कारवाँ आज शाम पुरकाजी पंहुचा और आज सुबह दिल्ली की ओर रवाना हो गया। पुरकाजी में वीरेंद्र सिंह के नेतृत्व में हिंदूवादी कार्यकर्ताओं ने संतों का भव्य स्वागत व आदर सत्कार किया। ये संत दिल्ली जा रहे हैं। दिल्ली पहुँच कर ये सभी संत जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी जी की रिहाई के तक गाँधी की समाधि पर आमरण अनशन करेंगे।
हिमाचल प्रदेश के आये दिव्यांग योगी ज्ञाननाथ महाराज व प्रज्ञाचक्षु स्वामी कृष्णानंद के नेतृत्व में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी जी, महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती, स्वामी अमृतानंद, यति सत्यदेवानंद, स्वामी श्याम चैतन्य गिरी व स्वामी संतराम आदि संत पदयात्रा के रूप में आज से आठवें दिन दिल्ली पहुंच जाएंगे और हिंदुओं की दुर्दशा के जिम्मेदार गांधी की प्रतिमा पर आमरण अनशन करेंगे।
यह पदयात्रा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से होकर निकलेगी। इसी कारण इस बात की पूरी संभावना हैं कि यात्रा पर हमला हो और कुछ लोग मारे जाए। इस कारण से ही इस यात्रा में केवल संत ही भाग लेंगे। सन्तों को डर है कि कहीं अगर यात्रा पर कोई हमला हुआ तो पुलिस जिहादियों और वोट के भिखारियों के दबाव में हिन्दुओं पर ही झूठा मुकदमा बना देगी और निर्दोष हिन्दुओ को जेल में ठूस दिया जाएगा। इसीलिए इस यात्रा में कोई भी कार्यकर्ता भाग नहीं लेगा। यह केवल सांकेतिक पदयात्रा होगी।
हिन्दुओ को बचाने के लिये बर्बाद हुए हैं जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी- यति नरसिंहानंद
पदयात्रा में महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी महाराज ने कहा कि वर्तमान समय मे जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी केवल हिन्दुओ को बचाने के लिये बर्बाद हुए हैं। वो आज सत्य और न्याय का नव प्रतीक बन चुके हैं। उन्होंने वो सत्य पूरी दुनिया के सामने रखा है जो पिछले चौदह सौ सालों से इस देश मे किसी ने नहीं कहा। उन्हें केवल अपनी सत्यनिष्ठा और न्यायप्रियता के कारण आज ये दुर्दशा देखनी पड़ रही है। हम उनके सम्मान के लिये अंतिम सांस तक लड़ेंगे। हम जानते हैं कि वो वोट बैंक की घटिया राजनीति के शिकार हो चुके हैं। हमारी शक्ति उन्हें बचाने की नहीं है परंतु हम उनके सम्मान की रक्षा के लिये अहिंसक तरीके से लड़ते हुए अपनी जान तो दे ही सकते हैं। वो हम जरूर करेंगे।