Dainik Athah

मंथन: कृषि कानूनों की वापसी मास्टर स्ट्रोक या…

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व एवं कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर जब लोग भजन पूजन में व्यस्त थे उस समय अचानक ही पूरे देश के साथ ही विश्व को चौंका दिया।

मोदी जो भी निर्णय लेते हैं वे अक्सर चौंकाने वाले ही होते हैं। शुक्रवार को उन्होंने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा करते हुए बुझे मन से कहा शायद उनकी तपस्या में कोई कमी रह गई थी। मोदी की इस घोषणा से कृषि कानून वापस लेने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान नेता भी भौंचक रह गये।

पहले तो उन्हें सूझा नहीं कि यह क्या है, लेकिन बाद में किसानों ने जिस प्रकार संसद से कानून वापस लेने, एमएसपी समेत अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलन जारी रखने की बात कही है यह लकीर पीटने से अधिक कुछ नहीं है। एक प्रकार से कहा जाये तो यह अपनी खाल बचाने का प्रयास भर है।लेकिन मोदी को तीनों कानून वापस लेने के लिए क्यों बाध्य होना पड़ा इसको लेकर विश्लेषकों की राय अलग अलग है।

सबसे बड़ा कारण जो बताया जा रहा है वह यह कि दशकों तक आतंकवाद की विभीषिका को झेलने वाले पंजाब में किसान आंदोलन के माध्यम से खालिस्तानी घुसपैठ कर रहे थे। यह पंजाब के साथ ही देश के लिए बड़ा नासूर हो सकता था। इसके साथ ही पंजाब में कांग्रेस व आप को रोकने के लिए भी यह कदम माना जा रहा है। मोदी के इस कदम से निश्चित ही पंजाब की हवा बदलेगी। लेकिन जो लोग इस कानून को किसानों के विरोध में बता रहे हैं उनमें पंजाब की भूमिका को नजरअंदाज करना गलत होगा।

इन कानूनों के बाद पंजाब में बिचौलिये एवं मंडी में दलाली करने वालों के सामने बड़ा संकट था। ये लोग भी आंदोलन को हवा देने का काम कर रहे थे। भाजपा के एक बड़े नेता कहते हैं कि यदि कानूनों का असर होता बिहार में भाजपा की गठबंधन सरकार नहीं बनती। एक कारण उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को माना जा रहा है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाकियू एवं रालोद मिलकर भाजपा के कार्यक्रमों को जबरन रोक सकते थे। इससे माहौल भी बिगड़ता, इससे भी बचने का प्रयास किया गया है।

विश्लेषक यह भी मान रहे हैं यह निर्णय प्रधानमंत्री मोदी की फितरत के विरूद्ध है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि केंद्र सरकार के अन्य निर्णयों के खिलाफ भी आंदोलन शुरू हो सकते हैं। लेकिन इसके लिए इंतजार करना होगा। भाजपा के एक हाई प्रोफाइल विधायक तो यह मान रहे हैं कि इससे भाजपा को नुकसान होगा। लेकिन हम एक बार फिर कहेंगे कि इंतजार करना बेहतर होगा। प्रधानमंत्री के दिल में क्या है इसके लिए भी इंतजार करना होगा। इसके नफा नुकसान का आकलन भी आने वाले समय में ही होगा।

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