… कौन है वे दो व्यक्ति जो विधायक के अहित के लिए करवा रहे हैं हवन
जिले की एक विधानसभा एवं वहां के विधायक दोनों ही चर्चा में रहते हैं। विधायक के साथ ही वहां के पूर्व विधायक से लेकर चेयरमैन आदि भी चर्चा में बने रहते हैं। राजनीति का सिद्धांत भी यहीं है चर्चा, पर्चा, खर्चा। सोमवार को पार्टी के दोनों अध्यक्षों कहने की बात नहीं जिला व महानगर अध्यक्ष ही होंगे। वहीं पर चर्चित विधानसभा के चर्चित यशस्वी विधायक जी भी विराजमान थे। इसी दौरान विधायक जी कहते हैं दो लोग मेरा अहित चाहते हैं तथा हवन करवा रहे हैं। लेकिन जवाब भी वे ही देते हैं कि मेरे साथ तो भोले बाबा है। इसके बाद वहां मौजूद लोगों के मन में जिज्ञासा होना स्वाभाविक था। वहां बैठे लोगों ने खूब कुरेदा। लेकिन विधायक जी ने यह नहीं बताया कि ये दोनों कौन है। हालांकि वहां बैठे लोगों में बाद में कानाफूसी अवश्य हुई कि ये कौन लोग है। लेकिन विधायक जी चर्चा छेड़ने के बाद अधिक समय तक वहां रूके नहीं।
अन्य पार्टी की तरह यहां भी है गुटबाजी
बात बात में लोगों को दिल्ली का मॉडल दिखाने वाली पार्टी जो सब कुछ अच्छा ही दिखाती है और बताती है, हाल ही में उसने महानगर में यूथ पद पर एक पदाधिकारी की घोषणा की। यह पदाधिकारी बड़े उत्साह के साथ पार्टी में शामिल हुए। वे पार्टी के कार्यों से बहुत प्रभावित थे, किंतु कुछ ही दिन में उनके विचार ऐसे बदले कि, पीड़ा उनकी थी पर उनके परिवार के एक सदस्य के मुख से झलक रही थी। परिवार के सदस्य कहते हैं …पार्टी में सब ठीक नहीं है, दूर से जो दिखता है वैसा होता नहीं है। अन्य पार्टी की तरह यहां भी गुटबाजी कुछ कम नहीं है। इसलिए कुछ कुछ कहने से पहले भी सोचना पड़ता है। दिल्ली मॉडल पर आधारित पार्टी प्रारंभिक दौर में ही है और आदर्शवाद झंडा उठाए जनता को आए दिन उपदेश देती है। लेकिन जब पार्टी में खींचातानी और गुटबाजी की बातें सामने आई तो आसान नहीं होगा आगामी विधानसभा में जिले में खाता खोलना।
… सर्टिफिकेट से पेट नहीं भरेगा साहब
कहावत है कि जो बात समय पर की जाए उसी के मायने हैं। सांप निकलने के बाद लाठी पीटने का कोई मतलब नहीं है। इसकी बानगी नगर निगम के कांफ्रेंस हॉल में गांधी जयंती पर देखने को मिली। गांधी जयंती पर नगर निगम प्रशासन की तरफ से सफाई कर्मचारी महिलाओं को सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। लेकिन कई साल से वेतन वृद्धि की मांग को लेकर अंदर ही अंदर घुट रही महिला कर्मचारी अपने हक की आवाज नगर आयुक्त और महापौर के सामने नहीं उठा सकी। पिछले कई सालों से वाल्मीकि समाज के नेता भी प्रदेश सरकार से वेतन वृद्धि को लेकर पत्राचार कर रहे हैं, लेकिन अब तक उन्हें कामयाबी नहीं मिल सकी है। गंभीर बात यह है कि कर्मचारियों की बोलती अपने अधिकारियों के सामने बंद हो जाती है, जबकि नेताओं के सामने लड़ने को तैयार रहते हैं। हालांकि गांधी जयंती के कार्यक्रम के बाद महिलाएं नगर निगम परिसर में जरूर यह कहती नजर आएंगे कि साहब सर्टिफिकेट से पेट नहीं भरेगा।