Dainik Athah

… आखिर कौन रख रहा चेयरमैनों को मंत्रियों से दूर!

प्रदेश में भाजपा की सरकार है। जिले में अधिकांश जन प्रतिनिधि भी भाजपा के। नगर पालिकाओं एवं नगर पंचायतों के चेयरमैन में भी अधिकांश इसी दल के है। लेकिन जब भी मंत्रियों का कार्यक्रम जिले में होता है चेयरमैनों को कार्यक्रमों अथवा बैठकों से दूर रखा जाता है। यह टीस भाजपा के चेयरमैनों के मन में है। लेकिन मामला अनुशासन का होने के कारण ये चुप रहते हैं। एक चेयरमैन कहते हैं नगर पालिकाओं में अनेक समस्याएं हैं जिनका निराकरण नहीं हो पाता है। यदि प्रभारी मंत्री अथवा संबंधित मंत्री के समक्ष विषय को रखा जाये तो समस्याओं का निराकरण जल्द हो सकता है। जिले के प्रभारी मंत्री तो करीब करीब हर माह जिले में आते ही है। बुधवार को तो नगर विकास मंत्री भी आये। लेकिन शायद ही किसी चेयरमैन को इसकी खबर दी गई हो। जबकि नगर पालिकाएं एवं नगर पंचायत, नगर विकास मंत्री के अधीन ही है। जबकि शासन के भी स्पष्ट निर्देश है कि जब भी कोई मंत्री जिले में जायें तब जन प्रतिनिधियों के साथ ही संगठन के जिला व महानगर अध्यक्षों को अवश्य इसकी सूचना दी जाये। अब या तो जिन हाथों में सूचना देने की जिम्मेदारी है वे चुने हुए चेयरमैनों को जन प्रतिनिधि की श्रेणी में ही नहीं मानते। अब यह भी सवाल उठाया जा रहा है कि जब महापौर को सभी सूचनाएं दी जाती है तो नगर पालिकाओं के चेयरमैनों को क्यों नहीं।

हालांकि यदि चेयरमैन संबंधित मंत्री से मिलेंगे तो अपने अपने शहर के लिए कुछ लेकर ही जायेंगे। जिससे शहरों में विकास होगा तथा कोई गतिरोध होगा तो वह भी दूर होगा। इस महत्वपूर्ण मामले में भाजपा संगठन की चुप्पी भी सवाल खड़े करती है। मंत्रियों को यह जानने का तो समय ही नहीं मिलता कि किस किस को सूचना दी गई और किसे नहीं। बेचारे चेयरमैन। उन्हें तब पता चलता है किसी मंत्री के आने का जब कोई खबर चले अथवा अगले दिन अखबारों में खबर छपें। इस स्थिति में विधायकों के भरोसे ही चेयरमैन रहते हैं कि उनकी बात भी पहुंचाई जाये। लेकिन विधायक कितना उनकी समस्याओं को उठाते हैं यह तो वे ही बता सकते हैं।

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