– सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा: भाजपा सचमुच चमत्कारी पार्टी है
अथाह ब्यूरो
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सचमुच चमत्कारी पार्टी है। वह कब कौन रूप धारण कर ले कहना मुश्किल है। भाजपा नेतृत्व बड़े-बड़े वादे कर जनता को बहलाने का गुर जानता है। समाजवादी पार्टी के कामों पर अपना ठपा लगा कर भ्रम पैदा करने में माहिर हैं। अब केन्द्रीय मंत्री ने भविष्यवक्ता का भी रूप धारण कर लिया है। लोकतंत्र में जनता मतदान से सरकार बनाती है परन्तु केन्द्रीय गृहमंत्री ने बिना चुनाव मैदान में उतरे ही भविष्यवाणी कर दी है कि विपक्ष को 2022 में करारी हार के लिए तैयार रहना चाहिए। यानी भाजपा राज में न अपील, न वकील और न दलील की कथा चलेगी। तानाशाही मानसिकता इसी को तो कहते हैं।
उन्होंने कहा समझ में नहीं आता कि प्रधानमंत्री हो या गृहमंत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की किस बात के लिए तारीफ करते हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में उत्तर प्रदेश में मौतों का ऐसा सिलसिला चला कि शवदाह गृहों में लाशें जलाने की जगह भी नहीं बची। अस्पतालों में बेड, दवा और इलाज का अकाल पड़ गया। इंजेक्शन और जीवन रक्षक दवाएं कालाबाजारी में ही उपलब्ध थी। आक्सीजन की कमी से अस्पतालों में तमाम सांसे उखड़ गई। हर तरफ चीत्कार और हाहाकार मचा था। कोविड-19 के दौर में लॉकडाउन लगने से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। दूसरे प्रदेशों से पलायन में भूखे-प्यासे लाखों श्रमिकों को अपने गांव पहुंचने के लिए कोई साधन नहीं मिला। कितनों की जिंदगी की सांसे ही रास्ते में थम गई। हजारों की नौकरियां छिन गई। राज्य सरकार इनकी मदद करने के बजाय मूकदर्शक बनी रही। सरकारी बस सेवा ध्वस्त रही। आफत के मारे लोगों से भी वसूली की जाती रही।
अखिलेश यादव ने कहा केंद्रीय गृहमंत्री, मुख्यमंत्री को प्रशंसा-पत्र बांटते समय भूल गए कि भाजपा राज में महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं की बाढ़ आ गई है।
लूट, अपहरण, हत्या रोज की वारदातें हो गई है। व्यक्ति का जीवन-मरण तय करने का काम सŸाा संरक्षित अपराधियों को मिला हुआ है। समाज में नफरत का माहौल है। लोक त्रस्त हैं। अच्छा होता अपनी जीत का हवाई सपना देखने वाले केन्द्रीय गृहमंत्री और मुख्यमंत्री इस बात की भी नोटिस ले लेते कि उन्होंने किसानों के साथ जो धोखाधड़ी की है उससे किसान आंदोलन व्यापक होता जा रहा है। किसान को न तो एमएसपी मिली, न ही उसकी आय दुगनी हुई। उल्टे काले कृषि कानून किसान को खेत मालिक की जगह खेत मजदूर बना देंगे। नौजवान बेरोजगारी से परेशान हैं। उनका भविष्य अंधकारमय है।