2022 के शुरूआती महीने पूरी तरह से चुनावी रंग में रंगे नजर आयेंगे। इसके लिए भाजपा सांसदों को भी अभी से ही तैयार किया जा रहा है। इनको पहला लक्ष्य संसद सत्र के बाद गांवों में जाने का दिया गया है। हर सांसद को 75 गांवों में एक- एक घंटा देना है। क्या संभव हो पायेगा। इसको लेकर भाजपा में ही चर्चा हो रही है। अब बुधवार एवं गुरुवार को हो रही सांसदों संग बैठक में भी मुख्य मुद्दा उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव है। सांसदों के लिए लक्ष्य निर्धारित किये जा रहे हैं। उन्हें क्या करना है और क्या नहीं। कैसे क्षेत्र में माहौल बनाना है इसका तरीका भी बताया जा रहा है। अधिकांश सांसदों की स्थिति यह है कि वे क्षेत्र में जाने से ही बचते हैं। वह भी 75 गांव में जाना! पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन चल रहा है। रालोद भी अंगड़ाई लेने लगा है। ऐसे में सांसदों के सामने गांवों में जाकर माहौल बनाना कठिन कार्य लगता है। पूर्व में सांसद चुनाव के समय पर अतिथि बनकर आते थे।
लेकिन भाजपा जिस प्रकार रणनीति बना रही है उसे देखकर तो लगता है कि सांसदों को कार्यकर्ताओं की भांति काम करना होगा। इसके साथ ही उनके काम की समीक्षा भी होगी। यदि काम में खरे नहीं उतरे तो …। दो दिनी बैठक में जिस प्रकार मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष एवं संगठन महामंत्री को बुलाया गया है उससे यह तय है कि सांसदों की समीक्षा भी संगठन करेगा। लेकिन सांसदों के गांव प्रवास में संगठन को क्या करना है यह अभी तय नहीं है। हमें तो सांसदों की राह कठिन ही लगती है।