त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बाद अब 2022 के विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। भाजपा पहले से ही अपने कील कांटे दुरुस्त करने में जुटी हुई है। एक प्रकार से कहा जाये तो भाजपा ने अपनी आधी से अधिक तैयारियां पूरी कर ली है। इसके साथ ही कहा जा रहा था कि साइकिल वाली पार्टी के भैया अर्थात टीपू भैया वातानुकूलित कमरे से कब बाहर आयेंगे। फूल वाली पार्टी के प्रदेश के मुखिया भी इनके ऊपर यहीं आरोप लगा रहे थे कि एसी में बैठकर बयानबाजी हो रही है। लेकिन अब भैया जी क्रांति रथ पर सवार होकर प्रदेश को मथने के लिए निकल गये हैं। यदि भैया निकले हैं तो उनकी सेना में भी जोश अवश्य आयेगा। हालांकि उन्हें काफी पहले ही सड़कों पर निकल जाना चाहिये था।
लेकिन देरी से ही सही भैया जी युद्ध लड़ने के लिए रथ पर सवार तो ही गये। अब इसके साथ ही यह भी देखना होगा कि वे रथ पर सवार होकर आम जनता को कितना संदेश दे पाते हैं। हालांकि जब भैया जी साइकिल लेकर निकले थे तो उन्होंने प्रदेश की सत्ता ही बदल दी थी। अब रथ पर सवार होने के साथ ही उन्हें पार्टी के कील कांटे भी दुरुस्त करने होंगे। जो मठाधीश कुर्सियों पर बैठे तो हैं। लेकिन करने को उनके पास कुछ नहीं ऐसे लोगों की कुर्सियां भी उन्हें छीननी होगी। कुर्सियों पर बोझ बने इन पदाधिकारियों के सहारे तो 2022 की जंग जीतनी आसान नहीं लगती। हे रथी अब तो कुछ करो, कुछ जोड़ तोड़ करो, जंग है तो जंग जैसी दिखनी चाहिये। यदि वाक ओवर दे दिया तो आपके ऊपर से विश्वास भी उठ जायेगा। अब सभी की निगाहें साइकिल वाले भैया जी के रथ पर लगी है।