Dainik Athah

वह कौन है जो नहीं सुलझने देना चाहते विवाद को!

पिछले दिनों भाजपा कार्यालय पर काफी कुछ हुआ था। वो भी तब जबकि पूरे प्रदेश के नेता उसी बैठक में शामिल थे जिस बैठक से शुरू हुआ विवाद पार्टी कार्यालय की चौखट तक पहुंच गया था। बात जब घर की चौखट से बाहर निकलेगी तो दूर तलक जायेगी यह भी सभी को पता है। बात दूर तलक चली भी गई। इस मामले में प्रमुख लोग अर्थात जिला व महानगर अध्यक्ष से लेकर दोनों जगह के प्रभारियों से दूरभाष पर प्रदेश के आला पदाधिकारियों ने बात भी कर ली। आला पदाधिकारी कौन इसके संबंध में ज्यादा कुछ बताने की आवश्यकता भी नहीं है।

तीन दिन पहले तक छन कर आ रही खबरें बता रही थी कि इसमें एक पक्ष समझौता करने के मूड में है। समझौता कोई इतना बड़ा नहीं कि उसमें पंच बैठे। एक पक्ष को दूसरे पक्ष की चौखट लांघनी थी। लेकिन यह चौखट लांघना दूसरे पक्ष के अपनी ही बिरादरी के कुछ बड़ों को शायद हजम नहीं हो रहा था। नेता बड़े हैं। बाबा के साथ मंच एवं बैठकें साझा करते हैं तो उनकी हनक तो होगी ही। हनक अर्थ दबाव से। बातों के धनी इन नेताजी ने दांव खेला और एक पक्ष को चौखट लांघने से रोक दिया। कारण कि जिस घर की चौखट लांघी जानी थी वे उन नेताजी के सामने ही ताल ठौंकने की तैयारी में है। लेकिन बातों में पस्त कर देने में माहिर नेताजी जी पर्दे के पीछे से भी दाव खेलने में माहिर है सो चल दिया उन्होंने दाव। अब चौखट तो लांघी जा रही है। लेकिन उन लोगों द्वारा जो उन नेताजी को नमस्ते करना चाहते हैं। यहीं कारण है अस्पताल से घर लौटने के बाद भी उनके दरवाजे पर भीड़ कम नहीं हो रही। उन्हें गुरू भी कहा जाता है। अब गुरू अपने विरोधी को कैसे पटखनी देते हैं इस पर सभी की नजर है। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि एक पक्ष ने इस विवाद में अपना नुकसान तो कर लिया। यह भी प्रदेश के किसी बड़े नेता के मुंह से निकली बात है। लेकिन वे इसे समझ नहीं पा रहे हैं। जब तक समझेंगे देरी हो चुकी होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *