Dainik Athah

क्या गठबंधन बनने से पहले ही औवेसी- राजभर में हो गया अलगाव

– गाजियाबाद से संभल तक जाना था औवेसी- राजभर को साथ
– प्रदेश सरकार के एक मंत्री से हुई मुलाकात के बाद राजभर नहीं पहुंचे गाजियाबाद

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। एआईएमआईएम प्रमुख् असदुद्दीन औवेसी एवं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के रास्ते क्या अलग हो गये हैं। गुरुवार की घटना तो यहीं संकेत दे रही है।
बता दें कि कुछ दिन पूर्व सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर एवं एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन औवेसी की मुलाकात हुई थी। इस मुलाकात के बाद राजभर ने घोषणा की थी कि दोनों विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे। इसके साथ ही अन्य छोटे दलों को साथ लेकर चला जायेगा। इसी के बाद दोनों ने तय किया था कि गाजियाबाद से हापुड़, अमरोहा, मुरादाबाद, बरेली से होकर दोनों एक साथ सभी जगह मंच साझा करेंगे। निर्धारित कार्यक्रम के चलते औवेसी तो गाजियाबाद से होकर आगे के लिए निकल गये। लेकिन राजभर यहां नहीं पहुंचे।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीते दिनों मुरादाबाद के लोक निर्माण विभाग के अतिथि गृह में प्रदेश सरकार के एक मंत्री रुके हुए थे। यहीं पर ओम प्रकाश राजभर भी पहुंचे थे। दोनों ने बंद कमरे में करीब आधा घंटे से अधिक समय तक बातचीत की थी। जानकार बताते हैं कि इस बातचीत के बाद ही राजभर ने अपने को औवेसी से अलग करने का निर्णय ले लिया। लेकिन मंत्री कितने प्रभावशाली साबित होंगे यह आने वाला समय ही बतायेगा। हालांकि जिन मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह से राजभर की मुलाकात हुई थी वे दलों में जोड़ तोड़ की राजनीति से अधिकांश दूर ही रहते हैं।


ंसूत्रों का यह भी दावा है कि औवेसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से ओम्रकाश राजभर को यह खतरा उत्पन्न हो गया था कि कहीं उनका अपना वोट बैंक उनसे न छिटक जाये। कारण कि औवेसी को कट्टरवादी नेता माना जाता है। जबकि राजभर का वोट बैंक हिंदू है। सुभासपा अध्यक्ष के सलाहकारों ने राजभर को औवेसी से दूर रहने की सलाह दी है। यहीं कारण है कि राजभर गाजियाबाद नहीं पहुंचे। शायद यहीं कारण है कि गाजियाबाद के डासना में औवेसी ने मीडिया से भी कन्नी काट ली। इन खबरों में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाला वक्त की बतायेगा।

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