पिछले दिनों बाबा (योगी आदित्यनाथ) मीडिया की सुर्खियों में थे। वह चाहे मंत्रिमंडल में बदलाव को लेकर हो, राष्टÑीय संगठन महामंत्री एवं संघ के सह सरकार्यवाह के दौरे के साथ ही संगठन एवं सरकार के कामकाज की समीक्षा हो, बाबा का दिल्ली दौरा हो। कई दिनों तक बाबा लगातार मीडिया की सुर्खियों में रहे। लेकिन कहते हैं कि अंत भला तो सब भला। अंत में यहीं तय किया गया कि 2022 में बाबा के नेतृत्व में ही मैदान में उतरना है। इसके बाद यह माना गया कि बाबा को बड़े बाबा अर्थात मोदी जी का आशीर्वाद प्राप्त है। लेकिन गुरुवार के दिन तो यह आशीर्वाद पूरी तरह से सिद्ध हो गया जब बड़े बाबा ने आधा दर्जन से अधिक बार अपने भाषण में यूपी वाले बाबा का नाम लेकर उनकी जमकर सराहना की।
चाहे वह कोविड काल हो, कानून व्यवस्था का मुद्दा हो, प्रदेश में विकास की बात हो। अब तो यह भी कहा जाने लगा है कि यूपी वाले बाबा को दो- दो बाबा का आशीर्वाद है। हर महीने बाबा, बड़े बाबा के संसदीय क्षेत्र का क्षेत्र का दौरा कर विकास कार्यों की समीक्षा करते हैं। जब वे काशी जाते हैं तो निश्चित ही बाबा भोले नाथ का आशीर्वाद भी लेते हैं। इसके साथ ही यह भी तय है कि जब भी बड़े बाबा काशी आते हैं तो उसके एक या दो दिन पहले काशी जाकर सभी व्यवस्थाओं एवं तैयारियों को एक वरिष्ठ आईएएस अफसर की तरह खुद देखते हैं। जबकि बड़े बाबा किसी अन्य राज्य में जाते हैं तो वहां के मुख्यमंत्री उसी दिन उनकी अगवानी के लिए पहुंंचते हैं। बाबा जो ठहरे, उन्हें पता है कि काशी के बाबा एवं बड़े बाबा को कैसे खुश रखा जा सकता है। काशी के बाबा तो वैसे ही भोले हैं। अब तो समझ जाओ तीनों बाबा एक है।