– पक्ष- विपक्ष सभी के सहयोग से सफल हो पाई भाजपा
– कोई पहले शामिल रहा, तो किसी की अंत में पड़ी आवश्यकता
– जैसा सौम्य स्वभाव, वैसा ही मिलता रहा साथ
अशोक ओझा
गाजियाबाद। भाजपा को लगातार दूसरी बार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज होने का मौका मिल रहा है। यह मौका ऐसे ही नहीं मिल रहा। पक्ष हो या विपक्ष सभी ने सौम्य चेहरे एवं सरल स्वाभाव वाले बसंत त्यागी की मदद करने में कोई कोताही नहीं की।
जिस समय भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष एवं पूर्व जिलाध्यक्ष बसंत त्यागी ने अपनी पत्नी ममता त्यागी को जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया उसी दिन यह तय हो गया था कि जीतने पर ममता त्यागी ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद की पार्टी से प्रत्याशी होगी। हालांकि इसी कारण बसंत त्यागी को क्षेत्रीय उपाध्यक्ष पद से त्याग पत्र भी देना पड़ा। उनके चुनाव में जहां कुछ भाजपाई अंदरखाने विरोध कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ विरोधी दलों से जुड़े लोग उनके पक्ष में काम कर रहे थे।
जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद भाजपा ने सबसे पहले ममता त्यागी को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। प्रत्याशी घोषित होने के बाद जीत की नींव भी लोनी के जावली से रखी गई। जावली के रहने वाले प्रदीप कसाना की पत्नी परमिता कसाना ने सबसे पहले ममता त्यागी को अपना समर्थन देने की घोषणा की। बता दें कि प्रदीप कसाना पुराने भाजपा कार्यकर्ता है। लेकिन भाजपा से टिकट न मिलने पर उन्होंने बागी होकर अपनी पत्नी को चुनाव लड़वाया। परमिता कसाना की जीत पूरी तरह पूर्व विधायक मदन भैया की जीत मानी गई थी। जिस प्रकार परमिता ने ममता त्यागी को समर्थन दिया उसने यह संदेश भी दे दिया कि मदन भैया का समर्थन भी ममता त्यागी को है। इस संदेश ने भी निर्विरोध निर्वाचन में बड़ा योगदान दिया।
इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजपाल तेवतिया के आवास पर रोज रणनीति बनती रही। पहली बैठक में जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल, महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा के साथ ही जिला प्रभारी सत्येंद्र शिशौदिया बैठे। यहीं से आगे की रणनीति बनाने पर काम शुरू हुआ। मानों तो हर दिन गोपनीय रूप से किलेबंदी में बैठक होती थी। बगैर घर के मालिक की मर्जी के वहां पर किसी को प्रवेश नहीं था। यहीं पर बसपा के शौकेंद्र को साधा गया। शौकेंद्र चौधरी के साथ आने के बाद समर्थक जिला पंचायत सदस्यों की संख्या भी बढ़ने लगी।
अंतिम दिन जिस प्रकार एक वोट जो सपा प्रत्याशी की प्रस्तावक थी को होटल से हटाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने का कठिन कार्य था। इस काम में मुरादनगर के भाजपा विधायक अजीत पाल त्यागी को लगाया गया। उन्होंने भी अपनी भूमिका का निर्वहन करते हुए एक कठिन कार्य को आसान बना दिया। भाजपा सूत्रों के अनुसार उसी एक वोट के ऊपर पूरा चुनाव था। यदि वह प्रस्ताव के रूप में सपा प्रत्याशी के साथ चली जाती तो चुनाव रोमांचक हो सकता था।
इस पूरे चुनाव में भाजपा के जिला प्रभारी सत्येंद्र शिशौदिया की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण रही। अपने पद के अनुसार वे सभी पार्टी वालों एवं बाहरी को अपने साथ करने में लगे रहे। जिस प्रकार चुनाव में निर्विरोध निर्वाचन हुआ है उसमें इन सभी के साथ ही जिलाध्यक्ष दिनेश सिंघल के साथ ही महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा का कद भी बढ़ा है। यदि सूत्रों की मानें तो अन्य लोग केवल नामांकन के दौरान ही नजर आये।