Dainik Athah

कहने को एक साथ, लेकिन कभी साथ नहीं दिखे दोनों दल

पूरे चुनाव में नजर नहीं आया सपा- रालोद का तालमेल

अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। समाजवादी पार्टी एवं राष्टÑीय लोकदल ने आगामी विधानसभा चुनाव साथ लड़ने की घोषणा की हुई है। लेकिन गाजियाबाद के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में दोनों की जुगलबंदी कहीं नजर ही नहीं आई। यहीं कारण था कि दोनों की संयुक्त प्रत्याशी अपना नामांकन भी नहीं कर सकी।
बता दें सपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए धौलाना विधायक असलम चौधरी की पत्नी नसीम बेगम को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद रालोद ने भी उन्हें अपना समर्थन दे दिया। लेकिन पूरे चुनाव में दोनों के बीच तालमेल का भारी अभाव रहा। यह स्थिति सपा के जिला व महानगर पदाधिकारियों के कारण उत्पन्न हुई। रालोद सूत्रों की मानें तो सपा के पदाधिकारियों ने रालोद नेताओं को किसी भी मामले में विश्वास में नहीं लिया। यहां तक की जिस दिन नामांकन होना था उस दिन भी रालोद पदाधिकारी अपने घर पर इंतजार करते रहे। लेकिन उन्हें शुरूआती दौर में यह भी नहीं बताया गया कि होटल में एक सदस्य को बंधक बनाया हुआ है।
हालांकि रालोद पदाधिकारी खुलकर इस संबंध में कुछ नहीं बोल रहे। उन्हें गठबंधन धर्म का भी पालन करना है। सूत्र बताते हैं कि सपा के स्थानीय नेता अकेले ही लगे रहे। वे किसी को साझीदार भी नहीं करते थे। यह कारण भी रहा कि दोनों दलों के समन्वय की कमी रही। जबकि प्रत्याशी सपा का था तो समन्वय की जिम्मेदारी भी उनकी ही बनती थी।


सूत्रों की मानें तो गाजियाबाद जिले में सपा की स्थिति राष्टÑीय पदाधिकारी एवं अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके नेता सपा प्रमुख अखिलेश यादव तक पहुंचा चुके हैं। लेकिन होटल के बाहर धरना देकर यह साबित करने का प्रयास किया गया कि वे कितनी मेहनत पार्टी के लिए कर रहे हैं। इसमें सपा के ही एक पूर्व प्रमुख की भूमिका भी संदिग्ध नजर आ रही है। जबकि उसके रिश्तेदार पड़Þौसी जिले से जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रत्याशी है।

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