– जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव
– भाजपा ने पाले में आये जिला पंचायत सदस्यों को पहाड़ी राज्य में भ्रमण के लिए भेजा
– एक वोट की कीमत पहुंच चुकी है 50 लाख से एक करोड़ रुपये
अशोक ओझा
गाजियाबाद। जैसे जैसे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव का नजदीक आता जा रहा है वैसे वैसे ही जिला पंचायत सदस्यों की कीमत भी बढ़नी शुरू हो गई है। कीमत देने के बावजूद भरोसा न होने के कारण प्रत्याशी अपने मतदाताओं को भ्रमण के लिए वादियों की सैर के लिए भेजने लगे हैं। जिले में एक वोट की कीमत एक करोड़ रुपये तक पहुंच गई है।
बता दें कि प्रदेश में तीन जुलाई को गाजियाबाद समेत सभी जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए मतदान होना है। इससे पहले 26 जून को नामांकन पत्र भरे जाने हैं। इस चुनाव के लिए गाजियाबाद जिले में भाजपा के पूर्व क्षेत्रीय उपाध्यक्ष बसंत त्यागी की पत्नी ममता त्यागी एवं सपा- रालोद गठबंधन से धौलाना से बसपा के बागी विधायक असलम चौधरी की पत्नी नसीम प्रत्याशी है। नसीम सपा से जिला पंचायत सदस्य है। यदि दलीय स्थिति पर गौर करें तो भाजपा के मात्र दो जिला पंचायत सदस्य विजयी हुए। सपा- रालोद के खाते में तीन- तीन सीटें आई। जबकि बसपा को सबसे अधिक पांच सीटे मिली। एक सदस्य परमिता कसाना पत्नी प्रदीप कसाना भाजपा से बागी होकर निर्दलीय विजयी हुई। परमिता ने पहले ही भाजपा को समर्थन देने की घोषणा कर दी है। इस प्रकार भाजपा के पाले में तीन सदस्य हो चुके हैं।
चुनाव में दलीय आधार को देखा जाये तो सपा- रालोद का पलड़ा भारी होना चाहिये। लेकिन इन दोनों दलों में क्रास वोटिंग का खतरा सबसे बड़ा है। वहीं बसपा की चुप्पी ने दोनों प्रत्याशियों की बांछे खिला दी है। इस स्थिति में दोनों ही पक्ष बसपा समर्थित जिला पंचायत सदस्यों को अपने पाले में करने लगे हैं। यदि सूत्रों पर भरोसा करें तो बसपा के भी तीन से चार सदस्य भाजपा के पाले में पहुंच गये हैं। वहीं, रालोद का एक वोट भी भाजपा के पाले में बताया जा रहा है। भाजपा के रणनीतिकार अपने पास 11 वोट होने का दावा कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही दावा सपा- रालोद पक्ष का भी है।
जानकारों की मानें तो चुनाव में एक वोट की कीमत 50 लाख से शुरू होकर एक करोड़ रुपये पहुंच गई है। अपने पक्ष के वोटर को दूसरे पक्ष से बचाने के लिए अब दोनों ही पक्षों ने जिला पंचायत सदस्यों को वादियों की सैर कराने के लिए पहाड़ी राज्य में भेजना शुरू कर दिया है। ये लोग मतदान से एक दिन पूर्व ही जिले में वापसी करेंगे। जिस प्रकार वोट की कीमत बढ़ रही उसके चलते अब क्रास वोटिंग का खतरा बढ़ गया है। हालांकि भाजपा खेमा इससे इनकार कर रहा है। लेकिन कितनी क्रास वोटिंग हुई उसका पता तो मतदान के बाद ही चलेगा। उसी दिन पता चलेगा कि कौन किसके ऊपर भारी है। लेकिन खोखा तो खोखा ही होता है। लक्ष्मी अच्छे अच्छों का ईमान डिगा देती है।