Dainik Athah

संपत्ति विभाग व सत्ता संरक्षण में पल रहे भूमाफिया की जुगलबंदी ने नगर निगम को पहुंचाई करोड़ों की राजस्व हानि

सुदामापुरी के ए ब्लॉक में ही करोड़ों के वारे कर डाले सत्ताधारी नेता व माफियाओं ने

अथाह संवादाता
गाजियाबाद।
सपा सरकार में माफियाओं, अपराधियों की दबंगई से तंग आकर ही जनता ने भाजपा को यूपी में ही नहीं केंद्र में पूर्ण बहुमत से सत्ता सौंपी थी। सीएम योगी ने भी जनता से वादा किया था कि भाजपा शासन में अपराधियों माफियाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। लेकिन गाजियाबाद में कमोवेश ऐसा नहीं हुआ। सत्ता तो बदली, पर परिवर्तन के साथ माफियाओं ने भी मुखौटा बदल लिया। आपको बता दें कि नगर निगम ने वर्ष 1998 – 99 में महानगर से झुग्गी झोपड़ी वालों को विस्थापित करने के लिए विजय नगर क्षेत्र की सुदामापुरी में 28 वर्ग गज और 56 वर्ग गज के भूखंड आवंटित किए थे। जिसमें 1000 * 29000 रुपए जमा कर गरीबों को प्लाट दिए गए। बाकी 28 हजार बाद में जमा होने थे। भूखंड लीज पर दिए गए थे। बस यहीं से शुरू हुआ निगम के संपत्ति विभाग व दबंगों की मिलीभगत से भूखंडों को खुर्द बुर्द करने का खेल।

सुदामापुरी ए ब्लॉक में सपा सरकार का सियासी चोला पहनने वाला एक नेता ने नेता कम भूमाफिया का रोल ज्यादा अदा किया। सूत्रों की माने तो अपनी दबंगई और सत्ता संरक्षण व नगर निगम संपत्ति विभाग की सांठगांठ से उक्त नेता ने ए ब्लॉक में न जाने कितने प्लाटों को कब्जा कर फर्जी नोटरी तैयार कर बेंच डाला। सत्ता परिवर्तन के बाद वही शख्स भाजपा में शामिल हो गया और क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर पार्षद का चुनाव लड़ा। लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा।विश्वस्त सूत्रों की माने तो सपा सरकार से सक्रिय उक्त छुटभैया नेता ने गरीब लोगों के प्लाटों पर बड़े पैमाने पर नगर निगम के मूल आवंटित के प्लॉटों पर संपत्ति विभाग द्वारा काटी गई अतिरिक्त रसीदों की आड़ में निगम के डिमांड रजिस्टर में अंकित रसीदों के सामने एक से दो लाख रुपए सुविधा शुल्क देकर किसी के भी प्लाट के सामने रजिस्टर में नगर आयुक्त के मौखिक आदेश अंकित कर गरीबों के सैकड़ों प्लाट हड़पकर मोटी रकम में बेच डालें और आज भी यही गोरख धंधा बदस्तूर जारी है। सूत्र बताते हैं कि सुदामापुरी नीलम वाली गली में ए- 660 जो नगर निगम से शिव कुमारी के नाम आवंटित है। उस प्लाट को भी भाजपा नेता ने फर्जी तरीके से मोटी रकम में बेच दिया। दबी जुबान लोगो का कहना है कि नगर आयुक्त यदि सुदामापुरी के ए-461,ए- 462 सहित अन्य प्लॉटों की निष्पक्ष जांच कराएं तो हकीकत से पर्दा खुद ब खुद हट जाएगा।

बताते हैं कि गरीबों ने संपत्ति विभाग में 1000 या 29 हजार तो जमा किए लेकिन 28000 जमा नहीं कर पाए। फर्जीवाड़ा की शिकायत पर शासन ने आवंटन पर रोक लगा दी थी क्यों कि निर्धारित भूखंडों से ज्यादा प्लॉटों का आवंटन गलत तरीके से कर दिया गया था माफियाओ व संपत्ति विभाग ने उसी का फायदा उठाया। उन्हीं प्लाटों को भाजपा नेता सहित कई अन्य लोगों ने 10 से 25 लाख तक में बेचा और नगर निगम को करोड़ो की राजस्व हानि पहुँचाई। सूत्र बताते हैं कि उक्त भाजपा नेता ने अ-106 को भी फर्जी कागज तैयार कर करीब 29 लाख रुपए में बेच दिया। नगर निगम संपत्ति विभाग की लापरवाही कहें या पैसे की हवस जिसने खुद की जमीन को माफियाओं के हवाले कर दिया और निगम को बैठे-बिठाए करोड़ों का चूना लगाया। स्थानीय लोगों का कहना है कि नगर निगम अधिकारी यदि सुदामापुरी ए ब्लॉक के मूल आवंटी के आधार पर निष्पक्ष जांच कराएं तो माफियाओं के चेहरे से नकाब उठ जाएगा।

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