अब की दीवाली देसी वाली, देवरिया के झालर, गोबर के दीये बना रहे देसी दीवाली
देसी उत्पाद इस दीपावली को बना रहे हैं खास
रंग ला रही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुहिम
एक जपनद एक उत्पाद के तहत अपनों को उपहार दे रहे हैं लोग
अथाह संवददाता, लखनऊ। गोबर के दीये हो या कस्बों की अनूठी कलाकृतियां… लखनऊ की चिकनकारी हो या प्रयागराज का मूंज… गोरखपुर का टेराकोटा हो या बनारस की साड़ी… इस दीपावली पर देसी उत्पादों की धूम दिख रही है। ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ की राह पर बढ़ते यूपी के कदम इस दिवाली चीनी उत्पादों को एक ओर टक्कर दे रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर प्रदेशवासियों को आकर्षित भी कर रहे हैं।
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपनों को एक जनपद, एक उत्पाद का तोहफा दिए जाने की अपील ने इस दिवाली को पूरे तरीके से अपना बना दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार की इस पहल से न सिर्फ प्रदेश के लाखों कारीगरों की दिवाली सुखमय हुई बल्कि प्रदेश के देसी उत्पादों ने लोगों की दिवाली को खास बना दिया है।
घरों में मिट्टी और गाय के गोबर से बने दीयें भगवान राम के स्वागत में रोशन होंगे, तो चाइनीज झालरों की जगह भारतीय झालरें घरों को जगमग करेंगी। मिटटी से बनी और प्राकृतिक रंगों से तैयार लक्ष्मी गणेश व सीता राम की मूर्तियां घर के मंदिरों में सजी नजर आएंगी।
आजमगढ़ की ब्लैक पॉटरी, उन्नाव की जरी-जरदोजी, हापुड़ के फर्नीचर, शामली का आयरन आर्ट के अलावा अन्य बेशकीमती उत्पादों को खरीद अपनों को उपहार देकर उनकी खुशियों को दोगुना करेंगे।
सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रही मुहिम
आत्मनिर्भर भारत की ओर यूपी के कदम तेजी से बढ़ रहे हैं। देसी उत्पादों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया पर #वोकलफॉरलोकल और #आत्मनिर्भरयूपी मुहिम के हैशटैग ट्रेंड करते नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री की अपील के बाद लोग ओडीओपी के तहत खरीदारी कर लोग जनपद के उत्पादों को बढ़ावा देते हुए जरूरतमंद लोगों की मदद कर रहे हैं।
देवरिया के झालर-झूमर से करें अपने घर को रोशन
इस बार चीन के उत्पादों को टक्कर देने वाले देवरिया के झूमरों और झालर की खरदारी कर घरों को देसी लाइटों से रोशन कर सकते हैं। देवरिया के सजावटी हैडिक्रॉफ्ट और बैंबू लाइट उत्पादों को दूसरों को गिफ्ट कर उनके चेहरों पर मुस्कान बिखेर सकते हैं।
विदेशों में धूम मचाने वाले देवरिया के उत्पाद की सबसे ज्यादा मांग नाइजेरिया, अफगानिस्तान, दुबई में है। ऐसे में विदेशों को रोशन करने वाले झालर-झूमर से प्रदेश के घर आंगन रोशन होंगे। बता दें कि दीपावली पर देवरिया की झालरों, सजावटी सामान, हैंडिक्रॉफ्ट, डिजाइनर दीए और मोम्बत्ती ने बाजारों में चीन के उत्पादों को टक्कर दे रहे हैं।
मिर्जापुर की कालीन से सजाएं घर
मिर्जापुर के कालीन, वॉलहैंग, फुटमैट व शोपीस का बोलबाला देश दुनिया में है। दीपावली पर वहां के मशहूर उत्पादों जैसे कालीन, हैंडीक्रॉफ्ट, सजावटी सामानों को खरीद अपने और अपनों की खुशियों में इजाफा कर सकते हैं।
माटी कला मेले ने संजोई पूरे प्रदेश की संस्कृति
लखनऊ के डालीबाग के खादी भवन में आयोजित नौ दिवसीय माटी कला मेला पूरे प्रदेश की संस्कृति को अपने में संजोए हुए है। माटी कला मेले में 15 जनपदों के बेहद खास माटी के बेजोड़ उत्पादों को अपनों को भेंट कर उनकी खुशियों में चार चांद लगा सकते हैं।
गोबर के बने दीये, गणेश लक्ष्मी, झालर, टेराकोटा के उत्पाद, फाउंटेन, गमले और सजावटी मूर्तियों की खरीदारी कर एक दूसरे को गिफ्ट कर सकते हैं। बता दें कि माटी कला मेले में गोरखपुर, प्रयागराज, अयोध्या, कानपुर, कुशीनगर, बरेली, बस्ती, प्रतापगढ़ समेत लखनऊ के शिल्पकारों की नायाब कारीगरी को खरीद खुशियों को दोगुना कर सकते हैं।
ऑनलाइन लोकल परिधानों की धूम
बनारस के घाटों के बाद परिधानों में मशहूर सिल्क की साड़ी ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर धूम मचा रही है। महिलाओं को बनारस की चंदेरी सिल्क, मूंगा सिल्क, कतान सिल्क, दुपियन सिल्क की साड़ी भा रही है। पांरपरिक परिधानों की ओर महिलाएं खूब आकर्षित हो रही हैं।
सिल्क व जरदोजी के काम से तैयार किए गए कुर्ते, साड़ी, सूट के अलावा लंहगा, स्कर्ट महिलाओं को खूब लुभा रहा है। दीपावली पर महिलाएं इन परिधानों की शॉपिंग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कर रही हैं।
गोरखपुर के सजावटी सामानों से सजाएं घर
गोरखपुर के सजावटी सामानों की खरीदारी कर अपने संग अपनों की खुशियों के त्योहार के रंगों में रंग भर सकते हैं। टेराकोटा के बने सजे-धजे घोड़े, दीये, माटी की रंग बिरंगी झालर, घंटियां ऑनलाइन और ऑफलाइन खूब बिक रहे हैं।
दीवाली पर चमक रही आरी-जरदोजी
नवाबों की नगरी की मशहूर जरी-जरदोजी और चिकन के बने परिधानों की चमक दीवाली पर महिलाओं के चेहरों पर रंगत बिखेरेगी। इस दीपावली विदेशी परिधानों की जगह ओडीओपी के तहत जरी जरदोजी और राजधानी के मशहूर चिकन की खरीदारी कर कामगरों के त्योहार को भी शुभ बना सकते हैं।
वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत——-वोकल फॉर लोकल’ और ‘आत्मनिर्भर भारत