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जिला- महानगर अध्यक्षों की सूची बतायेगी किसकी चली संगठन- जन प्रतिनिधि या ‘संघ’

  • भाजपा जिला- महानगर अध्यक्षों की सूची का इंतजार हो रहा लंबा
  • दिल्ली से मुहर लगने का हो रहा इंतजार ‘विनोद तावड़े’ पर टिकी है सभी नजरें
  • 25 तक बढ़ सकता है दावेदारों का इंतजार

अशोक ओझा
दिल्ली/ लखनऊ
। भारतीय जनता पार्टी के जिला और महानगर अध्यक्षों की सूची का इंतजार लंबा होता जा रहा है। अब सभी की नजरें दिल्ली की तरफ लगी है। सूची घोषित होने के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा कि इस बार किसकी चली है संगठन के पदाधिकारियों की, जन प्रतिनिधियों की अथवा
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की।

बता दें कि भाजपा ने जिला और महानगर अध्यक्षों की सूची घोषित करने के लिए 15 जनवरी की तारीख तय की थी। लेकिन अब तक सूची लगता है कि दिल्ली के जाम में फंसी है। सूत्रों के अनुसार सूची को अनुमोदन के लिए दिल्ली भेजा गया है। दिल्ली में भाजपा के
राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष का पूरा ध्यान इस समय दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर है, इसके चलते यह माना जा रहा है कि अंतिम मुहर
राष्ट्रीय  महासचिव एवं उत्तर प्रदेश के संगठन चुनाव के पर्यवेक्षक विनोद तावड़े की लगेगी। लेकिन बुधवार को सूची घोषित होने की संभावना क्षीण हो चुकी है।

भाजपा सूत्रों के अनुसार उत्तर प्रदेश में सभी के अपने अपने हित है। भाजपा ने पहली बार मंडल अध्यक्षों एवं जिलाध्यक्षों के नामों का पैनल जन प्रतिनिधियों से मांगा है। इस स्थिति में जन प्रतिनिधियों ने सबसे पहले यह देखा कि कौन दावेदारी उनके लिए बेहतर हो सकेगा। इस कारण जन प्रतिनिधि किसी भी एक नाम पर सहमत नहीं हो सके हैं। जिन जिलों में जन प्रतिनिधियों का गठजोड़ संगठन और सरकार के लिए परेशानी का सबब बना था उन जिलों में भी इस गठजोड़ को संगठन चुनावों ने पूरी तरह से धराशायी कर दिया है। अधिकांश जिलों में सभी जन प्रतिनिधियों ने अपनी पसंद के नाम को आगे बढ़ाने का काम किया। वे यह देख रहे हैं कौन दावेदार स्वामी भक्त साबित होकर उनकी हां में हां मिलायेगा। यहीं कारण है कि मंडल अध्यक्षों के चुनाव में जो जन प्रतिनिधि भारी थे उन्होंने अपने मनमाफिक मंडल अध्यक्ष बनवा लिये।
जन प्रतिनिधियों को इतना महत्व संगठन चुनाव में इससे पहले कभी नहीं मिल पाया जितना इस बार।

इसके साथ ही यह भी शुरू से कहा गया था कि जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में इस बार
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अर्थात संघ की सहमति प्राप्त की जायेगी। इसके चलते जो नेता कभी संघ के प्रचारकों को तव्वजो नहीं देते थे वे भी संघ की देहरी पर शीश नवाजते नजर आये। लेकिन संघ भी यह देख रहा है कि कौन ऐसे कार्यकर्ता है जो संघ को हमेशा तव्वजो देते हैं तथा पार्टी के प्रति भी वफादार है। जब गाजियाबाद जिले में राष्टÑीय महासचिव विनोद तावड़े आये थे उस समय उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि संघ से ऊपर लोग खुद बात करेंगे।

तावड़े के भाषण के बाद ही कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को लगे पंख
भाजपा सूत्रों के अनुसार अब से पहले जिला और महानगर अध्यक्ष पद के लिए कार्यकर्ताओं की उम्मीदें तो थी, लेकिन इस कदर नहीं कि 20 से लेकर 90 तक आवेदन जिलाध्यक्षों के लिए आये। राष्टÑीय महासचिव विनोद तावड़े के भाषण के बाद निष्कर्श निकला कि इस बार कार्यकर्ता को ही सम्मान मिलेगा। पैसा, पहुंच और दूसरे दलों से आने वालों को तव्वजो शायद न मिले। यहीं कारण है कि कार्यकर्ता उम्मीद भरी नजर से विनोद तावड़े की तरफ देख रहे हैं।


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