- लोकसभा चुनाव में केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के खिलाफ दिखाई थी जन प्रतिनिधियों ने एकजुटता
- सभी जन प्रतिनिधि अलग अलग भेजेंगे अपने अपने पैनल के नाम
- तो क्या सांसद- नव निर्वाचित विधायक हो गये तीन नामों के पैनल पर सहमत
- मैराथन बैठकों के बाद भी नहीं निकला कोई हल
अथाह संवाददाता
गाजियाबाद। गाजियाबाद महानगर अध्यक्ष का चुनाव रोमांचक होता जा रहा है। गाजियाबाद के जनप्रतिनिधियों में जो एकजुटता बनी थी वह अब करीब करीब ध्वस्त हो गई है। इस स्थिति में सभी जन प्रतिनिधि अपना अपना तीन तीन नामों का पैनल प्रदेश नेतृत्व को भेज रहे हैं। जिस प्रकार यह एकजुटता ध्वस्त हुई है उसका कारण अपना अपना हित है।
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले गाजियाबाद के सभी जन प्रतिनिधियों ने तत्कालीन सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह का टिकट कटवाने के लिए एकजुटता दिखाई थी। उस समय के महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा अब गाजियाबाद शहर से विधायक बन चुके हैं। सूत्र बताते हैं कि महानगर अध्यक्ष चुनाव के लिए सभी जनप्रतिनिधियों ने एकजुटता का प्रयास किया था। इसके लिए लगातार मैराथन बैठकें हुई थी। लेकिन ये बैठकें बगैर किसी नतीजे के समाप्त हो गई। सूत्रों की मानें तो सांसद और नव निर्वाचित विधायक तो आपस में तीन तीन नामों के पैनल पर सहमत थे, लेकिन वे अन्य जन प्रतिनिधियों के नामों पर सहमत नहीं थे।
गाजियाबाद महानगर अध्यक्ष पद के लिए वैसे तो 62 दावेदार मैदान में है, लेकिन मुख्य मुकाबला करीब आधा दर्जन कार्यकर्ताओं में ही है। इसमें पवन गोयल का नाम मजबूत दावेदारों में उभर कर सामने आया है। इसके साथ ही गोपाल अग्रवाल, संजय कुशवाहा, पप्पू पहलवान, मानसिंह गोस्वामी, मयंक गोयल, सुशील गौतम, केके शुक्ला, तरूण शर्मा, बॉबी त्यागी के बीच माना जा रहा है।
पिछले तीन दिन से लगातार हो रही थी बैठकें
सूत्रों के अनुसार जन प्रतिनिधि चाहते थे कि जिस प्रकार लोकसभा चुनाव में एक जुटता थी उसी प्रकार अब भी यह एकजुटता बरकरार रहे, लेकिन एक नाम ऐसा था जिसके ऊपर सांसद और नव निर्वाचित विधायक सहमत नहीं थे। वे अपने तीन नामों पर ही सभी की मुहर चाहते थे, लेकिन उन नामों पर अन्य सहमत नहीं थे। इसमें भी एक नाम पर सहमति हो सकती थी, लेकिन तीनों नामों पर कोई भी तैयार नहीं था। जिस प्रकार जन प्रतिनिधियों में एकजुटता खत्म हुई उसे देखते हुए यह लग रहा है कि यह आगे भी भाजपा की राजनीति पर असर डालेगी। लेकिन सोमवार तक सभी जन प्रतिनिधि अपने अपने पैनल लखनऊ भेज चुके होंगे।