Dainik Athah

बुनकर मार्ट और जीडीए दफ्तर की इमारत को भी दिन फिरने का इंतजार

  • जीडीए उपाध्यक्ष के ड्रीम प्रोजेक्ट की बदनुमा तस्वीर कर रही है हकीकत बयां
  • मधुबन बापूधाम के आवंटी पूछ रहे सवाल : आश्वासन की पीठ पर सवार योजनाएं कब होंगी साकार

अथाह संवादाता
गाजियाबाद।
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के कंधों पर विकास की जिम्मेदारी टिकी है। लेकिन प्राधिकरण द्वारा विकसित कई योजनाओं की बदहाली की वजह से यहां के आवंटियों को नरकीय जीवन यापन करना पड़ रहा है। मुद्दा मधुबन बापूधाम योजना का हो या या स्वर्ग जयंती पुरम का दोनों ही योजना के आवंटियों और भूस्वामियों की अपनी-अपनी दिक्कत, परेशानियां हैं। इन सब मुश्किलों के बीच जीडीए उपाध्यक्ष एक नई आवासीय योजना को धरातल पर उतारने का मंसूबा संजोए बैठे हैं, दूसरी ओर हजारों आवंटी ऐसे हैं जो बरसों से बिजली, पानी और सड़क के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 1234 एकड़ में विकसित मधुबन बापूधाम के नागरिक आज भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव में नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं।

गौरतलब है कि दो दशक पूर्व जीडीए ने मधुबन बापूधाम योजना विकसित करनी शुरू की थी। हजारों की संख्या में भवन व भूखंड विकसित करने के साथ ही योजना में बुनकर मार्ट और प्राधिकरण कार्यालय निर्माण की भी योजना थी। अरबों रुपए की महत्वाकांक्षी योजनाओं (बुनकर मार्ट और जीडीए कार्यालय) की आधी अधूरी इमारतें मौके पर सफेद हाथी बनी खड़ी हैं। शुरूआत में बुनकर मार्ट प्रोजेक्ट की लागत 200 करोड रुपए थी, जो बाद में बढ़कर 233 करोड़ हो गई। इसी योजना में प्राधिकरण का कार्यालय भी निमार्णाधीन था। उसकी निर्माण लागत भी करीब 100 करोड़ रुपए थी। पहले कोरोना फिर किसानों के विरोध के चलते दोनों ही प्रोजेक्ट पटरी पर नहीं आ सके। मौजूदा उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने अपनी नियुक्ति के साथ ही मधुबन बापूधाम योजना को अपना ड्रीम प्रोजेक्ट घोषित कर दिया था। लगभग आठ माह के कार्यकाल के बावजूद ड्रीम प्रोजेक्ट की सूरत बदलती नजर नहीं आ रही है।

उल्लेखनीय है कि सूबे के बुनकरों की प्रतिभा को मंच देने के उद्देश्य से मधुबन बापूधाम योजना में 36,500 वर्गमीटर जमीन पर बुनकर मार्ट प्रोजेक्ट शुरू हुआ था। जानकारों का कहना है कि बुनकर मार्ट जैसी परियोजना का परवान चढ़ना ही संदिग्ध है। यह परियोजना अपनी लागत भी निकाल लें तो गनीमत है। अलबत्ता बुनकर मार्ट को लेकर आधिकारिक स्तर पर दावे खूब बड़े बड़े किए गए। मसलन प्रोजेक्ट का मकसद बुनकरों को दुकान मुहैया कराने के साथ कला केंद्रों को विकसित करना है। मार्ट में एक्सपोर्टर्स के ठहरने के अलावा कई स्तरीय सुविधाएं विकसित होंगी। मार्ट में आॅडिटोरियम व कंवेंशन हॉल भी होगा। मार्ट के नए प्लान के अनुसार राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों के आयोजन के लिए 13740 वर्ग मीटर का आॅडिटोरियम व कंवेंशन हॉल भी होगा। आॅडिटोरियम व कंवेंशन सेंटर का क्षेत्रफल पहले 2773 वर्ग मीटर था, जो बढ़ाकर अब 13740 वर्ग मीटर हो गया है।

आज से छह साल पहले घोषणा की गई थी कि प्रोजेक्ट को जुलाई 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा उसके बाद घोषणा की गई कि प्रोजेक्ट जुलाई 2021 तक पूरा हो जाएगा। इस वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में घोषणा की गई थी कि जून महीने से मार्ट को आंशिक पूर्णता प्रमाणपत्र (कंप्लीशन सर्टिफिकेट) जारी कर दिया जाएगा। जिसके जारी होने के बाद मार्ट में निर्मित सभी दुकान खोली जा सकें। इन दुकानों के खुलने से प्रदेश के बुनकरों को अपने उत्पादों को बेचने का मंच उपलब्ध हो सकेगा। वहीं, लोग मार्ट में पारंपरिक हस्तशिल्प के सामान की खरीदारी भी कर सकेंगे। आधिकारिक रूप से यह भी कहा गया था कि मार्ट में सभी दुकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अलबत्ता इसके अन्य हिस्से में निर्माण कार्य चल रहा है। लेकिन प्राधिकरण इन दुकानों को खोलने की योजना बना रहा है। वहीं, बुनकर मार्ट को भव्य और आकर्षक रूप देने के लिए प्राधिकरण की ओर से हरसंभव प्रयास किया जा रहा है।

मधुबन बापूधाम की विकास योजनाओं के साथ साथ बुनकर मार्ट की प्रगति कछुए की गति से चल रही है। बीते छह साल से बुनकर मार्ट से लेकर जीडीए का नवनिर्मित कार्यालय भवन और मधुबन बापूधाम आवासीय योजनाएं अपने दिन फिरने की बाट जोह रही हैं। कछुए की गति या आश्वासन की पीठ पर सवार योजनाएं कब साकार होंगी? यह सवाल मधुबन बापूधाम का हर वह आवंटी पूछ रहा है जो यहां नरकीय जीवन जीने को मजबूर है।


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