जानते हुए भी जमीन को कब्जा मुक्त नहीं करा पा रहे अफसर
गाजियाबाद । प्रदेश की योगी सरकार को 3 साल बीत गए। सत्ता पर काबिज होते ही सीएम योगी ने सरकारी जमीनों से अवैध कब्जा हटाने, एक माह में सड़के गड्ढा मुक्त करने, महिला उत्पीड़न रोकने जैसे कुछ अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्राथमिकता से कार्य करने के अधिकारियों को निर्देश दिए थे। जिसके लिए बाकायदा एंटी भू माफिया टीम गठित कर सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कर माफियाओं के चंगुल से छुड़ाना और उनके विरुद्ध कार्यवाही करने का फरमान जारी किया था। कुछ समय तक तो अधिकारी फार्म में दिखे लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ा अफसरों की चाल भी ढीली पड़ती गई। हालांकि इस दौरान निगम व जीडीए ने करोड़ों रुपए की जमीन से अतिक्रमण हटाकर कब्जा लिया, लेकिन अभी भी अरबों रुपए की जमीन माफियाओं के शिकंजे में है। जिसे अधिकारी कब्जा मुक्त नहीं करा पा रहे हैं। ऐसे ही करोड़ों की भूमि पर डूंडाहेड़ा क्षेत्र के कुछ लोगों ने कब्जा कर रखा है। जिस पर खेती कर रहे हैं खुद की जमीन की आड़ में नगर निगम की भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। हालांकि कब्जाधारियों का कहना है कि वह भूमि उनकी है। निगम बेवजह पंगा अड़ा रहा है। लेकिन जांच पड़ताल में जमीन नगर निगम की पाई गई। बताते हैं कि बीते दिनों जमीन पर अवैध निर्माण के लिए कब्जा धारियों ने ईंटें डलवाई थी, जानकारी होने पर निगम अधिकारियों ने निर्माण रुकवा दिया और पैमाइश ना होने तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा था। 2 दिन पूर्व जमीन की पैमाइश होनी थी लेकिन किसी कारणवश अधिकारी पैमाइश करने नहीं पहुंचे। उधर माफिया जमीन को खुद की बताकर निर्माण की फिराक में लगे हैं।
सूत्रों की माने तो प्लांट रोड के पास बिजली घर से सटी खसरा नंबर 121, 106/2, 306, 123, 122, 308 की भूमि निगम की है। जिस पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है। यही नहीं सूत्र बताते हैं कि खसरा नंबर 106/2 की करीब 3800 वर्ग मीटर भूमि पर कब्जा कर फ्लैटों का निर्माण करा लिया गया। ऐसा भी नहीं है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे की शिकायत नहीं की जाती लेकिन निगम अधिकारी या तो इच्छा शक्ति की कमी के कारण भूमाफिया से जमीन कब्जा मुक्त नहीं करा पाते या निजी स्वार्थ में जानकर भी अंजान बने रहते हैं। यही वजह है कि 3 साल पूर्व सीएम के दिए गए एंटी भू माफिया के फरमान एकदम ठंडे बस्ते में पड़े हैं और जमीन माफिया पूर्व की भांति सक्रिय हैं और सरकार को करोड़ों की चपत लगा रहे हैं। डूंडाहेड़ा के कई खसरा नंबरों की जमीन माफियाओं के शिकंजे में है। निगम अधिकारी यदि इसी प्रकार लापरवाही बरतते रहे तो अन्य जमीनों की तरह यह जमीन भी निगम के हाथ से निकल जाएगी।