Dainik Athah

कविता : उस विचार से रहना तुम सावधान

कविता 
जिसने बर्बाद कर दिया सीरिया और अफगान,
उस विचार से रहना तुम सावधान।
जिसने मिटाया  विक्रमशिला,नालंदा का ज्ञान,
उस विचार से रहना तुम सावधान।
जिसने नहीं बख्शी छोटी बच्चियां,
जिंदा जला दिए इंसान,
उस विचार से रहना तुम सावधान।
मासूमों को मार जो जश्न मनाता है,
काट के लोगों की गर्दन  खलीफा कहलाता है,
खून खराबा है जिसकी पहचान,
उस विचार से रहना तुम सावधान।
जिसने सदियों से घोपा पीठ में छुरा,
जिसने तोड़ा हिंदुस्तान,
उस विचार से रहना तुम सावधान।
जिनका ना कोई दीन ना ईमान,
पाक नाम से पड़ोस में बैठा है हैवान,
उस विचार से रहना तुम सावधान।
लोकतंत्र का पहन के टोपी,
घर में बैठा है शैतान,
एक ही कार्य में लगा हुआ ,
हो टुकड़े-टुकड़े हिंदुस्तान।
उस विचार से रहना तुम सावधान।।
कविता

कवि : डा.प्रेम किशोर शर्मा निडर

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