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समाजवादियों ने ही भारत छोड़ों आंदोलन की कमान सम्हाली थी: अखिलेश यादव

अथाह ब्यूरो
लखनऊ।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि अगस्त 1942 की तिथि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की ऐतिहासिक एवं निर्णायक तिथि है। 8 अगस्त 1942 की रात्रि महात्मा गांधी जी ने अंग्रेजो से भारत की मुक्ति के लिए करो या मरो का मंत्र दिया था। सभी बड़े नेताओं की 9 अगस्त की तड़के सुबह गिरफ्तारी के बाद समाजवादियों ने ही भारत छोड़ों आंदोलन की कमान सम्हाली थी।
उन्होंने कहा अंग्रेजो की तमाम घेराबंदी के बावजूद अरूणा आसफ अली ने 9 अगस्त 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में तिरंगा फहराकर जनविद्रोह का आगाज कर दिया तो डा. राममनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण, ऊषा मेहता आदि समाजवादियों ने मिलकर भारत छोड़ो आंदोलन को नई गति दी। राममनोहर लोहिया ने ऊषा मेहता के साथ भूमिगत रेडियों का संचालन किया। जयप्रकाश नारायण ने हजारीबाग जेल की दीवार फांदकर उस क्रांति के नई सनसनी फैदा कर दी। इस आंदोलन में हिन्दू-मुसलमान सभी ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया।

यादव ने कहा भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ देश में परिवर्तन की नई मंजिलें तय की गईं। जो दलित, वंचित, शोषित थे उन्हें संविधान में समान हक और सम्मान मिला। बाबा साहब डॉ0 भीमराव अम्बेडकर के प्रसासों से गरीब-अमीर सभी को एक वोट का समान अधिकार मिला। समाजवाद के साथ लोकतांत्रिक मूल्यों की स्थापना और स्वतंत्र संघर्ष के आदर्शों को अपनाने का संकल्प लिया गया। उन्होंने कहा कि देश की विविधता और सामाजिक सौहार्द को नष्ट करने वाली ताकतें आज नफरत फैलाने में लगी हैं। लोकतंत्र और संविधान को बचाने के प्रति समाजवादी पार्टी की प्रतिबद्धता सर्वविदित है।

अखिलेश यादव ने कहा कि अगस्त क्रांति का सपना देश में किसान, मजदूर और युवाओं का राज स्थापित करना था ताकि सभी को हक और सम्मान का जीवन हासिल हो सके। इस सपने को साकार करने तथा संवैधानिक मूल्यों एवं राष्ट्रीय आंदोलन के आदर्शों को बचाने तथा उन्हें पुन: स्थापित करने की जिम्मेदारी आज फिर आम नागरिकों एवं समाजवादियों पर आ गई है। समाजवादी पार्टी 9 अगस्त 1942 की याद में लोकतंत्र संविधान तथा नागरिक अधिकारों का बचाने का संकल्प दोहराती है।


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