Dainik Athah

ढ़ाई लाख से ज्यादा पौधे लगाने का कार्य अंतिम चरण में

  • आरआरटीएस कॉरिडोर को ईको फ्रेंडली बनाने के लिए साहिबाबाद से शताब्दी नगर मेरठ तक
  • विभिन्न प्रकार के खूबसूरत फूलों और वनस्पतियां कॉरिडोर को बना रहे हराभरा और आकर्षित

अथाह संवाददाता, गाजियाबाद। वैश्विक पर्यावरण संरक्षण लक्ष्यों के अनुरूप हरित और सतत विकास के लिए एनसीआरटीसी आरआरटीएस कॉरिडोर को ईको फ्रेंडली बनाने के लिए साहिबाबाद से शताब्दी नगर मेरठ तक ढ़ाई लाख से ज्यादा पौधे लगा रहा है। ये पौधे कॉरिडोर के नीचे सड़क के बीच के मीडियन तथा स्टेशन और डिपो आदि में लगाए जा रहे हैं।
इनमें से आधे पौधे आरआरटीएस कॉरिडॉर के साहिबाबाद से शताब्दी नगर (मेरठ) तक के कुल 48 किमी के खंड में वायडक्ट के नीचे बने मीडियन में लगाए जा रहे हैं। पौधा रोपण का कार्य 95 फीसदी से ज्यादा पूर्ण हो चुका है। वहीं बाकी के आधे पौधों को आरआरटीएस डिपो दुहाई में लगाया गया है।

दुहाई से शताब्दी नगर तक वायडक्ट के नीचे मीडियन में लगाए जाने वाले पौधों में बोगनवेलिया, टिकोमा, प्लुमेरिया अल्बा, अल्लामांडा, मानसोआ, चमेली और मधुमालती शामिल हैं। ये सभी पौधे खूबसूरत फूलों के लिए पहचाने जाते हैं। ये पौधे आरआरटीसी कॉरिडोर के साथ-साथ इस पूरे क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के साथ ही आकर्षक और मनमोहक भी बनाएँगे। इन पौधे पर लगने वाले रंग-बिरंगे फूलों से यह पूरा क्षेत्र खूबसूरत और मनमोहक बन जाएगा।
दूसरी ओर आरआरटीएस डिपो दुहाई में लगाए गए लगभग 70- 75 प्रकार के पौधों में फिकस कॉम्पेक्टा, जुनिपरस चिनेंसिस, फिकस पांडा बॉल, त्रिकोणीय पाम, सिल्वर युक्का, प्लुमेरिया (चम्पा), केंटिया पाम, टर्मिनेलिया मैटेलिका, गोल्डन बैम्बू , ड्रिकेनिया विक्टोरिया, स्पाइडर लिली, लैंटाना डिप्रेसा, नीम, गुलमोहर, अल्तमश, कचनार, अशोक, कदम, शीशम, सिल्वर ओक, टीक, कनेर, टिकोमा और बोगविलिया समेत अन्य पौधों एवं वृक्षों की प्रजातियाँ शामिल हैं।
इन पौधों की देखभाल और पानी देने के लिए भी निर्धारित टीमें लगाई गई हैं। इन पौधों को समय-समय पर पानी दिया जा रहा है और उनकी देखभाल की जा रही है। कॉरिडोर के नीचे इन पौधों के लगाए जाने से यहां आकर्षक हरियाली है, जो पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में सहयोग दे रही है।
दुहाई (ईपीई) से शताब्दी नगर तक के खंड में मुरादनगर, मोदीनगर साउथ, मोदीनगर नॉर्थ, मेरठ साउथ, परतापुर, रिठानी और शताब्दी नगर कुल सात स्टेशन हैं। मुरादनगर से मोदीनगर नॉर्थ के बीच नमो भारत ट्रेनों का संचालन शुरू हो चुका है और इससे के आगे के स्टेशनों में निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहे हैं। शताब्दी नगर से आगे मोदीपुरम तक भी कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से प्रगति कर रहा है और इस सेक्शन के तैयार होने पर यहां भी पौधे लगाने की प्रक्रिया आरंभ होगी।

परियोजना की संकल्पना से लेकर इसके कार्यान्वयन तक, एनसीआरटीसी निरंतर पर्यावरण-अनुकूल प्रक्रियाओं को अपनाता रहा है। प्री-डिजाइन चरण से शुरू होकर, निर्माण के प्रत्येक चरण में निम्न कार्बन उत्सर्जन को सुनिश्चित करना संस्था की प्राथमिकता रही है। फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग, कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन वेस्ट का प्रभावी निपटान, हवादार और आरामदायक बिल्डिंग इंटीरियर का निर्माण, ऊर्जा-कुशल डिजाइन, वर्षा जल संचयन प्रणालियों का कार्यान्वयन और सौर ऊर्जा का व्यापक उपयोग जैसी तमाम पहल, सतत विकास के प्रति एनसीआरटीसी की प्रतिबद्धता के उदाहरण हैं।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *