मंथन: इस समय देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। यदि सरकारी आंकड़ों पर ही भरोसा करें तो इस समय कोरोना का भयानक दौर चल रहा है। सरकारी आंकड़ों से इतर बात करें तो यह संख्या दोगुनी होगी। लेकिन गाजियाबाद में लगता है कि आम लोगों के मन से कोरोना का डर या तो समाप्त हो गया है अथवा सरकारी कार्यवाही शून्य होने के कारण लोग लापरवाही बरत रहे हैं।
यदि सड़क पर चलते लोगों को देखोगे, बस अथवा आटो में सवार लोगों को देखोगे अथवा किसी आंदोलन में भागीदारी कर रहे लोगों को देखोगे तो यह कहीं लगेगा ही नहीं कि कोरोना संक्रमण कहीं है। न कहीं मास्क, न दो गज की दूरी। इसे देखकर तो यह लगता है कि इन लोगों को कोरोना का कोई भय नहीं है।
यदि बात पुलिस व प्रशासन की करें तो कहीं पर भी कोरोना संक्रमण रोकने के लिए कोई कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही। यदि पुलिस जांच करती है तो केवल हेलमेट, सीट बैल्ट अथवा गाड़ी के कागजात की। जबकि होना चाहिये कि बगैर मास्क पहनने वालों के चालान। अभी एक सप्ताह पहले की बात है मैं राजस्थान गया था।
वहां पर पुलिस गाड़ियों के कागजात जांचने के स्थान पर यह देखती है कि मास्क किसने नहीं लगाया हुआ है। यदि कोई पैदल भी बगैर मास्क के चल रहा है तो निश्चित ही उसका चालान होगा। इसका असर यह है कि कोई भी व्यक्ति यदि घर से बाहर निकलता है तो पहले मास्क लगाता है। वहां के लोगों का कहना है कि पता नहीं कहां से मोटरसाइकिल पर पुलिस वाला आ जाये और चालान कर जाये।
अब जिले के जिम्मेदार अधिकारियों का यह फर्ज बनता है कि वे मास्क को लेकर सख्ती बरतनी शुरू करें। यदि ऐसा नहीं हुआ तो जिले में हालात बद से बदतर हो जायेंगे। इसके लिए आम नागरिक से लेकर प्रदेश सरकार तक उन्हीं को जिम्मेदार ठहरायेंगे। अभी देर नहीं हुई है हालात बदलने के लिए सख्ती तो करनी ही होगी।