- पउप्र भाजपा में की तीन सीटों पर फंस रहा पेंच
- दो बार से सांसद के टिकट में पेंच फंसने से विरोधियों के चेहरों पर खुशी
- एक हाई प्रोफाइल नेता की नजर है सबसे आसान सीट पर
- मेरठ जाने से नेता ने किया इनकार, भाजपा के राष्टÑीय महासचिव भी चाहते हैं गाजियाबाद से चुनाव लड़ना
अशोक ओझा
गाजियाबाद। भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 195 प्रत्याशियों की जंबो लिस्ट शनिवार को घोषित कर दी। लेकिन इस सूची में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तीन महत्वपूर्ण सीटों गाजियाबाद, मेरठ और सहारनपुर से प्रत्याशी घोषित न होने के कारण इन तीनों सीटों के कार्यकर्ताओं को निराशा हाथ लगी। बात गाजियाबाद की करें तो यहां से प्रत्याशी की घोषणा न होने के कारण दो बार के सांसद जनरल वीके सिंह के विरोधी खेमे में खुशी भी है। हालांकि इस सीट से प्रत्याशी घोषित होना था, लेकिन घोषणा से कुछ देर पहले ही नाम को हटाया गया। इससे वीके सिंह समर्थकों को राहत की उम्मीद भी है।
जनरल वीके सिंह गाजियाबाद सीट से लगातार दो बार से सांसद है। पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीके सिंह से पहले इस सीट से वर्तमान में रक्षा मंत्री और तत्कालीन भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह चुनाव जीते थे। उन्होंने कांग्रेस के सुरेंद्र प्रकाश गोयल को हराकर यह सीट कांग्रेस से छीनी थी। जबकि गोयल ने चार बार के सांसद डा. रमेश चंद तोमर को हराकर सीट कांग्रेस की झोली में डाली थी।
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल के साथ ही राष्टÑीय महासचिव अरुण सिंह की गाजियाबाद पर नजर
भाजपा सूत्रों के अनुसार गाजियाबाद सीट के लिए जिन नामों पर चर्चा हुई उनमें मुख्य रूप से वर्तमान सांसद एवं केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह के नाम के साथ ही केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल एवं भाजपा के राष्टÑीय महासचिव अरुण सिंह के नामों पर चर्चा मुख्य रूप से हुई।
अंतिम समय में कटा गोयल का नाम, मेरठ नहीं जाना चाहते
भाजपा सूत्रों के अनुसार गाजियाबाद से पीयूष गोयल का नाम सूची में शामिल कर लिया गया था। लेकिन अंतिम समय में उनका नाम सूची से हटाया गया। सूत्रों की मानें तो सूची घोषित होने से पहले केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तर प्रदेश के एक बड़े नेता से बात की और उनकी राय मांगी। इस पर उन्होंने भी पीयूष गोयल के नाम पर असहमति व्यक्त की। पीयूष गोयल का नाम लंबे समय से मेरठ सीट से चल रहा है। सूत्रों का कहना है कि मेरठ में कड़ी टक्कर होने की संभावना के चलते वे मेरठ नहीं जाना चाहते, जबकि गाजियाबाद सीट पर जीत की गारंटी मानी जाती है।
अरुण सिंह का है गाजियाबाद से पुराना जुड़ाव
यदि बात भाजपा के राष्टÑीय महासचिव एवं राजस्थान के प्रभारी अरुण सिंह की करें तो उनका गाजियाबाद से पुराना जुड़ाव है। वे यहां के प्रमुख कार्यकर्ताओं को बहुत अच्छे से जानते हैं। जब 15 साल पहले राजनाथ सिंह यहां से चुनाव लड़े थे उस समय अरुण सिंह का अधिकांश समय गाजियाबाद में ही गुजरता था।
कहीं गुटबाजी तो नहीं बन रहा कारण
जनरल वीके सिंह के यहां से तीसरी पारी खेलने की उम्मीद बलवती हो रही थी, लेकिन जिस प्रकार भाजपा में गुटबाजी चल रही है तथा पार्टी के पांचों विधायक उनके खिलाफ लामबंद है उसे देखते हुए पार्टी के पास यह संदेश भी गया है कि गाजियाबाद में गुटबाजी अधिक है। हालांकि यह अकेले गाजियाबाद की स्थिति नहीं है। अधिकांश सांसदों एवं उनके क्षेत्र के विधायकों में हर समय ठनी रहती है। भाजपा के एक बड़े नेता बताते हैं कि सांसद और विधायकों के क्षेत्र अलग अलग है। इसकी तरफ पार्टी ध्यान नहीं दे रही है।
किसी पूर्व सैनिक को अब तक की सूची में नहीं मिला टिकट
बताया जा रहा है कि भाजपा जरनल वीके सिंह के नाम के साथ पूर्व सैनिकों को भी साधती रही है। पूर्व सैनिकों एवं सेनाओं को यह संदेश देती है कि भाजपा पूर्व सैनिकों का कितना सम्मान करती है। इसके साथ ही जब भी भारतीय किसी देश में फंसते हैं तब संकट मोचक के रूप में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जरनल वीके सिंह को ही भेजते हैं।
भाजपा सूत्रों का कहना है कि अभी जरनल वीके सिंह का टिकट कटा नहीं है। हां इतना अवश्य है कि उन्हें टिकट के लिए मशक्कत करनी पड़ेगी। हालांकि पीयूष गोयल और अरुण सिंह भी गाजियाबाद के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं। उम्मीद है कि अगले चार से पांच दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाये।