प्रोजेक्ट सृजन : केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय की पहल
अथाह ब्यूरो
नई दिल्ली। जिन हाथों में कभी बंदूक और हथियार हुआ करते थे, उन हाथों की अंगुलियां अब कंप्यूटर के की-बोर्ड पर दौड़ रही हैं। जो कभी अपराधी हुआ करते थे, अब दर्जी, बढ़ई, हलवाई, इलेक्ट्रीशियन, माली और प्लंबर बन गए हैं। ये संभव हुआ है भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालाय के प्रोजेक्ट सृजन से।
प्रोजेक्ट सृजन न केवल जेल में बंद अपराधियों के व्यवहार में बदलाव लाया है, बल्कि वे एक बार फिर से समाज के मुख्य धारा से जुड़कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं। बदलाव के बाद कैदी स्वयं कह रहे हैं कि मंत्रालय ने उनके हुनर को निखार कर उन्हें जीने की नई राह दिखाई है।
मंत्रालाय द्वारा तिहाड़ से लेकर पुलवामा जेल तक प्रोजेक्ट सृजन चलाया गया। साल 2018 से शुरू किए इस प्रोजेक्ट में अब तक कई तरह के कौशल विकास के प्रशिक्षण कार्यक्रम करवाए गए हैं। डाटा इंट्री आॅपरेटर, प्लंबिंग, इलेक्ट्रीशियन, टेलरिंग, माली, हैंडीक्राफ्ट समेत मिठाई और नमकीन बनाने के काम का प्रशिक्षण जेल के भीतर कैदियों को दिया गया है।
मंत्रालय कैदियों के जीवन में सुधार लाने और उन्हें हुनरमंद बनाने के साथ-साथ टूल किट भी मुहैया करा रहा है, ताकि जेल से बाहर निकलने के बाद वे उसी टूल किट से अपना व्यवसाय शुरू कर सकें।
बहुत ही अच्छी पहल