अथाह ब्यूरो नई दिल्ली: Final Year Exams: यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराई जाएंगी या नहीं? इस सवाल का जवाब देशभर के लाखों स्टूडेंट्स और उनके अभिभावक जानना चाहते थे। हर किसी को परीक्षाओं पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का इंतजार था।
लेकिन अब छात्रों और अभिभावकों का इंतजार खत्म हो गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने अंतिम ईयर की परीक्षाओं (Final Year Exams) को लेकर अपना अंतिम फैसला आज सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के फाइनल ईयर के एग्जाम आयोजित कराए जाएंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी राज्य को लगता है कि उनके लिए परीक्षा आयोजित कराना मुमकिन नहीं है तो वह UGC के पास जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, राज्य अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के बिना किसी भी छात्र को प्रमोट नहीं कर सकते हैं।
अंतिम ईयर के छात्रों की परीक्षाएं 30 सितंबर को कराने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने मुहर लगा दी है। यानी अब अंतिम ईयर की परीक्षाएं 30 सितंबर तक पूरी की जाएंगी।
सुप्रीम कोर्ट में अंतिम वर्ष की परीक्षा टालने वाली याचिका पर पिछली सुनवाई 18 अगस्त को हुई थी। इस दौरान यूनिवर्सिटी और कॉलेजों की अंतिम वर्ष की परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
इसी के साथ अदालत ने सभी पक्षों से तीन दिन के भीतर लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था। अदालत ने ये भी कहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि डिग्री कोर्स के अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द होंगी या नहीं। इसी मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई और परीक्षा को लेकर अंतिम फैसला लिया गया।
पहले हुई सुनवाई के दौरान यूजीसी ने कहा था कि बिना परीक्षा के मिली डिग्री को मान्यता नहीं दी जा सकती है। यूजीसी ने 6 जुलाई को संशोधित दिशा निर्देश जारी किए थे। गाइडलाइन्स में सभी यूनिवर्सिटी और कॉलेजों को अंतिम वर्ष के स्टूडेंट्स के लिए सितंबर तक परीक्षाएं आयोजित कराने के बारे में कहा गया है।
यूजीसी गाइडलाइन्स के अनुसार, फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स के एग्जाम ऑनलाइन, ऑफलाइन या दोनों तरीकों से आयोजित किए जा सकते हैं। यूजीसी की संशोधित गाइडलाइन्स में ये भी बताया गया है कि बैक-लॉग वाले छात्रों को परीक्षाएं अनिवार्य रूप से देनी होंगी।
यूजीसी के मुताबिक, अन्य जो स्टूडेंट्स सितंबर की परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पाएंगे तो यूनिवर्सिटी उन स्टूडेंट्स के लिए बाद में स्पेशल परीक्षाएं आयोजित करेगी।
जब भी संभव हो, विश्वविद्यालय द्वारा इन विशेष परीक्षाओं को संचालित किया जा सकता है, ताकि विद्यार्थी को किसी भी असुविधा / नुकसान का सामना न करना पड़े। उपरोक्त प्रावधान केवल वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2019-20 के लिए सिर्फ एक बार के उपाय के रूप में लागू होगा।
यूजीसी ने दिल्ली सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा अपने-अपने राज्य की यूनिवर्सिटी में अंतिम वर्ष की परीक्षाएं रद्द करने के फ़ैसले पर विरोध जाहिर किया था। यूजीसी (UGC) ने कहा था कि वे एक स्वतंत्र संस्था है, विश्वविद्यालयों में परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेदारी यूजीसी की किसी राज्य सरकार की नहीं।