Dainik Athah

मंत्री परिषद ने मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल में आसवनी की स्थापना के प्रस्ताव पर लगाई गई मुहर

निगम क्षेत्र की मोहिउद्दीनपुर चीनी मिल में बी-हैवी शीरे पर आधारित 60 केएलपीडी क्षमता की आसवनी की होगी स्थापना

परियोजना की स्थापना से गन्ना मूल्य का समय से होगा भुगतान, जिससे क्षेत्र के लगभग 35,000 किसान होंगे लाभान्वित

मिल क्षेत्र के लगभग 20 कि.मी. की परिधि में आने वाले क्षेत्रीय जन-सामान्य की वित्तीय स्थिति सुदृ्ढ होगी, जिससे उनका सामाजिक स्तर होगा बेहतर

भारत सरकार की नीति के अनुसार एथेनॉल बलेंडिंग कार्यक्रम होगा सुगम, एथेनॉल आदि के विक्रय से राज्य को होगी राजस्व की प्राप्ति

चीनी मिल को अतिरिक्त आय होने के साथ-साथ पर्यावरणीय प्रदूषण में भी आयेगी कमी


  • अथाह ब्यूरो
    लखनऊ।
    उप्र राज्य चीनी निगम लि. की मोहिउद्दीनपुर इकाई-मेरठ में बी-हैवी शीरे पर आधारित 60 केएलपीडी क्षमता की आसवनी की स्थापना के प्रस्ताव को मंत्री परिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है। इस परियोजना की स्थापना से क्षेत्रीय किसानों को गन्ना मूल्य का समय से भुगतान होने से मिल क्षेत्र के लगभग 35,000 किसान प्रत्यक्ष रूप से लाभान्वित होंगे, जिससे मिल परिसर के निकटवर्ती परिधि में आने वाले क्षेत्रीय जन-सामान्य की वित्तीय स्थिति सुदृ्ढ होगी, जिससे उनका सामाजिक स्तर बेहतर होगा तथा आत्मनिर्भरता आयेगी। मिल क्षेत्र में आने वाले जन-सामान्य एवं युवाओं के लिये 200 प्रत्यक्ष एवं 1000 अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सुनिश्चित होंगे।
    आसवनी परियोजना के तकनीकि पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव, चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास संजय आर भूसरेड्डी ने बताया कि यह आसवनी आधुनिकतम उपलब्ध तकनीकी पर आधारित है, जिसमें जीरो लिक्विड डिस्चार्ज एवं वायु प्रदूषण नियंत्रण से सम्बन्धित आधुनिक संयत्र की स्थापना की जा रही है।

उन्होंने भारत सरकार एवं राज्य सरकार को परियोजना की स्थापना से होने वाले लाभों के बारे में बताते हुए कहा कि इस परियोजना की स्थापना होने से भारत सरकार की नीति के अनुसार एथेनॉल बलेंडिंग कार्यक्रम सुगम होगा तथा एथेनॉल आदि के विक्रय से चीनी मिल को आय होगी वहीं राज्य सरकार तथा भारत सरकार को राजस्व के रूप में प्रतिवर्ष लगभग रू.700 लाख की अतिरिक्त आय होगी। उन्होंने कहा कि इससे विदेशी मुद्रा की भी बचत होगी। एथेनॉल जैव ईधन एवं इको-फ्रैंडली ईंधन है तथा इसके प्रयोग से कार्बन मोनो आॅक्साईड का कम उत्सर्जन होगा, किसानों की आय को बढ़ावा मिलेगा, प्रदूषणकारी पैट्रोलियम पर निर्भरता कम होगी तथा यह हमारे पयार्वारण के लिये भी सुरक्षित है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *