Dainik Athah

भारतीय नव संवत्सर 2080 का राजनीतिक भविष्यफल

भारतीय नव वर्ष विक्रम संवत 2080 22 अप्रैल को आरंभ हो रहा है।

नवसंवत्सर  2080 का नाम पिंगल है। इस वर्ष के  राजा का पद युवराज ग्रह बुध को और मंत्री का पद राक्षसों के गुरु ग्रह शुक्र को मिला है ।

आकाशीय काउंसिल के चुनाव में शनि को धन का दायित्व दिया गया है और गुरु को मेघों के  स्वामी  व रस का स्वामी बनाया गया है ।आकाशीय काउंसिल के अनुसार राजनीतिक, प्राकृतिक ,भौगोलिक प्रभाव इस प्रकार रहेगा। पिंगल नामक संवत्सर का फल*पिंगल नामक संवत्सर में समाज में भय, अराजकता की अधिकता बनी रहेगी ।महंगाई बढ़ेगी ।वर्षा का क्रम बिगड़ सकता है । कहीं अधिक , कहीं कम वर्षा होगी। राजा लोग अपने पराक्रम का प्रदर्शन करेगें। जनता के लिए यह कष्टकारी वर्ष होगा। इस वर्ष रोहिणी का वास समुद्र तट पर है और समय का निवास धोबी  के घर में है। इस कारण उत्तम वर्षा के योग बनेंगे । पेड़ पौधे, वृक्ष , लताएं अच्छी प्रकार से पल्लवित होंगे।इस वर्ष का राजा शासनाध्यक्ष बुध ग्रह है बुध ग्रह को अपरिपक्व राजकुमार के रूप में जाना जाता है। इसलिए संसार को मुसीबत में डालने वाला निर्णय लेने वाला होगा। शुक्र राक्षसों का स्वामी है जो मंत्री है इसलिए बुध की शुक्र से मंत्रणा भी अच्छी नहीं रहेगी ।अर्थात राजा और सेनापति ने कोई न कोई द्वंद चलता रहेगा।गुरु रसेष , फलेश व दुर्गेश है इसलिए भारत अपनी सीमा पर उसकी रक्षा के लिए कड़ी निर्णय लेंगा। सामाजिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन हो सकेगा। अच्छी पैदावार होगी।इस वर्ष शनि को वित्त मंत्रालय मिला है।शनि भारत की अर्थव्यवस्था को चार चांद लगाएंगे। किंतु भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति अच्छी नहीं कहा जा सकती। पड़ोसी देशों में अफरा-तफरी का माहौल बनेगा ।कोई शासनाध्यक्ष देश को छोड़कर भाग सकता है।विकसित देश अस्त्र शस्त्रों की होड़ में लगे रहेंगे। जनता और सेना की हानि होती रहेगी।

संवत्सर 2080 का प्रारंभ यद्यपि 22 मार्च को प्रातः सूर्योदय के समय 6:26 बजे आरंभ होगा।किंतु वर्ष प्रतिपदा 21 मार्च 2023 को रात्रि 22:52 बजे आ जाएगी ‌वर्ष प्रवेश का लग्न के अनुसार लग्न के स्वामी मंगल है जो मिथुन राशि में बैठकर अष्टम स्थान में है ।अष्टम भाव में मंगल संसार तो वह अशांति और युद्ध का वातावरण देगा। भारत की सीमावर्ती देशों में अकाल युद्ध, आंतरिक राजनीतिक विद्रोह, मानव जनित बीमारियों का सामना करना पड़ेगा।वृश्चिक लग्न के लिए वर्ष वर्ष प्रवेश लग्न में विश्व को परेशानी का सामना करना पड़ेगा ।विश्वयुद्ध की चिंगारी लग सकती है। शनि और देव गुरु अपनी राशि में स्थित है इसलिए प्राकृतिक आपदाएं भी यदा-कदा बनेगी।इसके साथ साथ भारत की सामरिक स्थिति विशिष्ट होगी ।रक्षा क्षेत्र, शिक्षा क्षेत्र और खेल के क्षेत्र में भारत कीर्तिमान स्थापित करेगा।

पंडित शिवकुमार शर्मा ,आध्यात्मिक गुरु एवं ज्योतिषाचार्य गाजियाबाद

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