स्कूलों की लीज के उल्लंघन के मामले में जीडीए उपाध्यक्ष ने रखा अपना पक्ष
निवेशकों का हित सर्वोपरि: जीडीए उपाध्यक्ष
स्कूलों को मान्यता प्रदान करने वाले बोर्ड की स्वीकृति को मानक मानते हुए होगी जांच: अपर सचिव
विशेष संवाददाता गाजियाबाद। महानगर के स्कूलों को आवंटित भूमि पर तय नियमों का उलंघन कर उच्च स्तर पर चल रही शिक्षा संस्थानों को चुनौती देने वाली शिकायत पर जीडीए की जांच का नतीजा आना अभी बाकी है। निशु चौधरी द्वारा इस संदर्भ में पांच वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री के जन शिकायत पोर्टल पर शिकायत करने के बावजूद कोई परिणाम सामने न आने पर विधायक मदन भैया द्वारा यह प्रश्न हाल ही में विधानसभा में उठाया गया था। विधायक द्वारा सदन में प्रश्न उठाए जाने के बाद से स्थानीय स्तर पर जीडीए ने आरोपित स्कूलों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी थी। इस प्रकरण में जीडीए की जांच के नतीजे जब आएंगे तब आएंगे फिलहाल जीडीए उपाध्यक्ष व जिलाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह का कहना है कि शिकायत की जांच से शासन को अवगत करवा दिया जाएगा। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में समर्पित लोग व शिक्षा निदेशालय कोई अनियमितता बरतेगा इसकी उम्मीद कम है। गौरतलब है कि लगभग पांच वर्ष पहले मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर महानगर के दर्जनों स्कूलों को आवंटित भूमि का नियमों के विपरीत उपयोग करने का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायतकर्ता में ऐसे 32 स्कूलों को चिन्हित किया था जिन पर अनुबंध की शर्तों का कथित रूप से उल्लंघन करने का आरोप है। उनका आरोप था कि सूची में शामिल स्कूलों ने जीडीए द्वारा आवंटित भूमि में लीज की शर्तों का उल्लंघन किया है। आरोपित स्कूलों ने प्राइमरी शिक्षा के लिए आवंटित भूमि पर हाईस्कूल व इंटर स्कूल तक का विस्तार कर दिया है। जो लीज की शर्तों का उल्लंघन है। इस संदर्भ में जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह का पक्ष जानने की कोशिश में उन्होंने कई महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर इशारा किया। इस संबंध में जिलाधिकारी व जीडीए उपाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह का कहना है कि यदि स्कूल शासन से मान्यता प्राप्त है तो निश्चित रूप से शिक्षा और रोजगार भी प्रदान कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में प्राधिकरण बोर्ड द्वारा पारित प्रस्ताव को दृष्टिगत रखते हुए ही प्रकरण का निस्तारण किया जाएगा। महानगर में 250 कॉलोनी बरसों से अवैध बनी हुई हैं। स्कूल तो बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हम निवेश को आकर्षित कर रहे हैं। लोग भयमुक्त होकर स्कूल, उद्योग, विश्व विद्यालय में निवेश करें। भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मैं जानता हूं कि जो करोड़ों रुपए निवेश करेंगे वह कोई अवैध निर्माण नहीं करेंगे। सभी नियम और कानून देश, काल और परिस्थितियों के अनुसार बदलते रहते हैं।
इससे पूर्व सोमवार को अपर सचिव सी. पी. त्रिपाठी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि आरोपित शिक्षण संस्थानों से पूछा गया है कि उनके द्वारा शिक्षा विभाग के नियमों का उलंघन तो नहीं किया है।